मंत्री ने हाथ जोड़ते हुए अधिकारी को कहा, हमारे साथ बहस कर कोई फायदा नहीं होगा, मरीजों की सेवा करे
डॉक्टरों से अपील वही दवा लिखे जो अस्पताल की स्टॉक सूची में है
सरकारी अस्पतालों में दवा उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को बाहर दवा क्यों खरीदनी पड़ रही इसको लेकर असम के स्वास्थ्य मंत्री अशोक सिंघल बेहद नाराज है। कछार जिला आयुक्त कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान मंत्री स्वास्थ्य सेवाओं के संयुक्त निदेशक को फटकार लगाई। हाथ जोड़कर कहा, कृपया मरीजों को परेशान न किया जाए। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पताल में जब दवा उपलब्ध है, फिर मरीज बाहर क्यों दौड़ लगाए यह सवाल पूछे। स्वास्थ्य मंत्री सिंघल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष फोकस की है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा के तहत इलाज के साथ मुफ्त दवाइयां भी देनी है। मंत्री ने नियम विरुद्ध जाने वाले अधिकारी व चिकित्सकों खिलाफ उचित कार्रवाई करने की बात भी कही।
ज्ञातव्य हो कि डॉक्टरों ने अस्पताल की स्टॉक सूची के बाहर आपातकालीन दवाएं लिखीं। जिसके कारण मरीजों को इन्हें बाहर से खरीदना पड़ता है। इस आरोप के बाद स्वास्थ्य मंत्री अशोक सिंघल ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उल्लेखनीय बराक घाटी के दौरे के दौरान मंत्री के समक्ष इस तरह का आरोप दो बार आया। पहली घटना में श्रीभूमि जबकि दूसरा मामला कछार जिले में आया। गुरुवार को करीमगंज सिविल अस्पताल में काफी तीखा गुस्सा दिखाया। शुक्रवार को सिलचर में जब इस तरह के आरोप फिर से लगाए गए तो मंत्री का मूड और खराब हो गया। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और मीडिया कर्मियों तक सबके सामने जिले के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. शिवानंद रॉय से पूछा गया कि आखिर यह सब क्यों हो रहा है।
एक समय ऐसा आया जब माहौल गरमा गया और मंत्री ने हाथ जोड़कर कड़े शब्दों में कहा, “मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि दवा लिखने को लेकर मुझसे झगड़ा न करें। मुझसे लड़ने से कुछ नहीं होगा। मरीजों की उसी तरह सेवा करें जिस तरह वे करते हैं। बराक घाटी के दो दिवसीय दौरे से लौटने से पहले मंत्री ने शुक्रवार को सिलचर में जिला आयुक्त कार्यालय में समीक्षा बैठक की। बैठक के बाद मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए मंत्री ने गुरुवार को करीमगंज सिविल अस्पताल के अपने दौरे के दौरान लगाए गए आरोपों को स्पष्ट करते हुए कहा कि डॉक्टरों ने आवश्यक दवाओं की एक सूची तैयार की है।
इस सूची में से प्रत्येक उप-केंद्र में 30 दवाइयां, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 125, जिला अस्पतालों में 272 और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 440 दवाइयां रखी जानी चाहिए। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सदैव प्रयासरत है कि ये दवाइयां अस्पतालों में उपलब्ध रहें। अस्पताल के डॉक्टरों को मरीजों के लिए दवा लिखते समय इस सूची को ध्यान में रखना चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य कोई दवा लिखना उचित नहीं है। ताकि मरीजों को बाहर से दवाइयां न खरीदनी पड़े। यदि कोई नई बीमारी फैल जाए तो यह अलग बात है। फिर विभाग को डॉक्टरों को इसकी जानकारी देनी होगी और जरूरी दवाएं लिखनी होंगी। तदनुसार, सरकार नई दवाइयां उपलब्ध कराएगी। लेकिन मरीजों को सूची से बाहर की दवाएं लिखकर उन्हें खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि ऐसी शिकायतें प्राप्त होंगी तो जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज करने के लिए “व्हाट्सएप नंबर – 9864541430” शुरू किया जा रहा है। यदि आप इस नंबर पर शिकायत दर्ज कराते हैं तो जांच के बाद तुरंत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह बातें बताते हुए कहा कि गुरुवार को उन्होंने करीमगंज सिविल अस्पताल का मुद्दा उठाया था और कहा था कि शिकायत करने वाले मरीज को संबंधित डॉक्टर द्वारा लिखा गया पर्चा ही थमा दिया गया। उस समय अस्पताल की डिस्पेंसरी में उक्त मिश्रण वाली दवाइयां उपलब्ध नहीं थीं। हालाँकि, सभी प्रकार की दवाइयों का स्टॉक अलग-अलग रखा गया था। डॉक्टरों को दवाइयां लिखते समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि यदि कोई मरीज इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाता है और उसे दवा नहीं मिलती है तथा उसे बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है तो यह मंत्री के तौर पर उनकी घोर विफलता है। वह ऐसा होने देने को तैयार नहीं है। मंत्री जब यह कह रहे थे, तभी एक पत्रकार ने उनके हाथ में दवा के पर्चे को लेकर शिकायत की। उसी दिन वह अपनी बेटी को सिलचर के सतिंद्र मोहन देव सिविल अस्पताल ले गया था। डॉक्टर ने जो दवा लिखी थी, वह अस्पताल की डिस्पेंसरी में उपलब्ध नहीं थी। उनसे कहा गया कि उन्हें यह सामान बाहर से खरीदना पड़ेगा। यह सुनकर मंत्री का मूड खराब हो गया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक को, जो बगल में ही थे, बुलाया और इस बारे में पूछा। अधिकारी सफाई देने की कोशिश की लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, मुझसे लड़ने से कोई फायदा नहीं होगा।
जब तक तुम यहां हो, मरीजों की सेवा करो। फिर उन्होंने जिला आयुक्त मृदुल यादव और संयुक्त निदेशक को संबंधित डॉक्टर को बुलाने, मामले की जांच करने का आदेश दिया और शीघ्र ही उन्हें एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य मंत्री ने बातचीत के दौरान ऊंची आवाज में यह भी कहा कि अगर कोई यह सोचता है कि विभाग के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि किस अस्पताल में किस तरह की दवाएं स्टॉक में हैं, तो वह गलतफहमी में है। क्योंकि किस अस्पताल में कौन सी दवा भेजी गई है, कितनी दवा वितरित की गई है? ये खाते नियमित रूप से विभाग को प्रस्तुत किये जाते हैं। इसलिए अब छिपने का कोई मौका नहीं है।
योगेश दुबे