Friday, June 20, 2025

असम की सरकार घुसपैठ को रोकने और यहां अवैध रूप से रह रहे विदेशियों का पता लगाने के लिए हर तरह के कर रही प्रयास जबकि पश्चिम बंगाल में स्थिति बिल्कुल उलट, केंद्रीय शिक्षा एवं डोनर राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कही यह बात।

  • असम की सरकार घुसपैठ को रोकने और यहां अवैध रूप से रह रहे विदेशियों का पता लगाने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति बिल्कुल उलट है।

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केंद्रीय शिक्षा एवं डोनर राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ( टीएमसी ) सरकार की कड़ी आलोचना की है। संगठन के लिहाज से मजूमदार भाजपा की पश्चिम बंगाल प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष भी हैं।

बुधवार को सिलचर में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि असम में भारत समर्थक सरकार चल रही है, जबकि पश्चिम बंगाल में स्थिति इसके ठीक उलट है। कछार भाजपा जिला कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन मूल रूप से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की 11वीं वर्षगांठ के अवसर पर उसके कार्यों की रिपोर्ट पेश करने के लिए बुलाया गया था। चूंकि केंद्रीय राज्य मंत्री मजूमदार भाजपा की पश्चिम बंगाल प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष हैं, इसलिए उस राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ के आरोपों का सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है।

इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने असम का जिक्र किया और कहा कि इस राज्य में राष्ट्रवादी या भारत समर्थक सरकार है। भारत के हित को मुख्य बिंदु में रखकर असम की सरकार घुसपैठ को रोकने और यहां अवैध रूप से रह रहे विदेशियों का पता लगाने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति बिल्कुल उलट है। पश्चिम बंगाल में अंतरराष्ट्रीय सीमा का करीब 450 किलोमीटर हिस्सा अभी भी पूरी तरह खुला है। ऐसे में वहां अक्सर घुसपैठ हो रही है, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है और जनसांख्यिकी बदल रही है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार खुली सीमा पर कंटीले तारों ( फेंसिंग ) की बाड़ लगाने के लिए जमीन नहीं दे रही है। इतनी लंबी खुली सीमा पर बीएसएफ के जवान 300 मीटर की दूरी पर खड़े रहते हैं। यह फासला कम होता जा रहा है। अगर कोई आधी रात को दूसरी तरफ से भागकर अंदर आ जाए तो उसे रोकना संभव नहीं है। ऐसे में पुलिस को इस तरह से घुसे लोगों का पता लगाने की पहल करनी होगी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पश्चिम बंगाल पुलिस बाद में इन अवैध घुसपैठियों का पता लगाने के लिए कोई पहल नहीं कर रही है।

अगर पश्चिम बंगाल में भारत समर्थक सरकार होती तो पुलिस इन घुसपैठियों का पता जरूर लगा लेती। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार कंटीले तार लगाने के लिए जमीन नहीं दे रही है, इसलिए बीएसएफ उस राज्य में घुसपैठ को पूरी तरह से नहीं रोक पा रही है। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय के दबाव के कारण इस बार कुछ हलचल शुरू हुई है। फिलहाल यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि जमीन आखिर मिलेगी या नहीं।

केंद्रीय राज्यमंत्री मजूमदार की बातों के आधार पर उनसे पूछा गया कि चूंकि उन्होंने कहा कि असम में भारत समर्थक सरकार है, जबकि पश्चिम बंगाल में स्थिति इसके ठीक उलट है। लेकिन पश्चिम बंगाल में कौन सी भारत समर्थक सरकार है? जवाब में उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि समझदारों के लिए एक इशारा ही काफी हैं। फिर उन्होंने कहा कि बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सबूत मांगे गए थे और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ तृणमूल नेता सौगत रॉय ने कहा था कि ऐसा कुछ नहीं है।

भारत ने बस कुछ बम फोड़े हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं। इससे सब कुछ पानी की तरह साफ हो जाता है। इधर, पश्चिम बंगाल में मतदाता रहे तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता न्यूटन को बांग्लादेश में शेख हसीना विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करते देखा गया है। यह कहते हुए उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “तृणमूल कांग्रेस ने रिकॉर्ड बनाया होगा। उनकी पार्टी में अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता हैं। वे एक ही समय में भारत और बांग्लादेश दोनों में काम कर रहे हैं। देश में ऐसा कोई दूसरा राजनीतिक दल नहीं है, जिसका ऐसा उदाहरण हो।” एक सवाल के जवाब में उन्होंने दावा किया कि 2026 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा जरूर सत्ता में आएगी।

उनके मुताबिक पहलगाम और मुर्शिदाबाद की घटनाओं के बाद पश्चिम बंगाल के लोगों के सामने सब कुछ स्पष्ट हो गया है। पश्चिम बंगाल के लोग दोनों घटनाओं के बीच के संबंध को अच्छी तरह समझते हैं। वे यह भी समझते हैं कि अगर ममता बनर्जी सत्ता में हैं, तो उनका भविष्य अंधकारमय है। इसलिए पश्चिम बंगाल के लोगों का ममता पर से विश्वास उठ गया है। वे 2026 में जरूर बदलाव लाएंगे। मणिपुर दंगों से जुड़े एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि उस राज्य में पहले भी दंगे हुए हैं। दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भी दंगे हुए थे।

मौजूदा हालात में मणिपुर की जनता का भरोसा जीतने के लिए भाजपा ने अपनी ही पार्टी के चुने हुए मुख्यमंत्री को भी हटा दिया है। लेकिन जब दो समुदाय एक दूसरे पर भरोसा खो देते हैं तो उस भरोसे को फिर से हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। मणिपुर में हुए दंगे मोदी सरकार की सफलता हैं या विफलता, इसका अंदाजा लगाने के लिए इनकी तुलना कांग्रेस के दौर में उस राज्य में हुए दंगों से करनी होगी। प्रेस वार्ता के दौरान असम के मंत्री कौशिक राय, सांसद परिमल शुक्लवैद, कछार भाजपा के अध्यक्ष रूपम साहा और धोलाई के विधायक निहार रंजन दास भी मौजूद रहे।

योगेश दुबे

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