- सपना अब हुआ साकार
शिलचर। असम विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित पूर्वोत्तर के महान स्वतंत्रता सेनानी बीर टिकेंद्रजीत सिंह की प्रतिमा का आज अनावरण हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित असम विवि के कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत और असम साहित्य सभा के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. सूर्यकांत हजारिका ने प्रतिमा का अनावरण किया। असम विवि मणिपुरी स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष ख. कृष्ण मोहन सिंह ने बताया कि 26 वर्ष से प्रयासरत उनके समाज का सपना अब साकार हुआ। असम विवि के बिपिन चंद्र पाल ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित समारोह में बीर टिकेंद्रजीत सिंह के जीवनी पर एक पुस्तक का लोकार्पण हुआ।
असम विवि परिसर में टिकेंद्रजीत सिंह की प्रतिमा स्थापित करने हेतु भूमि पूजन और आधारशिला समारोह 16 नवंबर 2023 को आयोजित किया गया था,और आज उनके भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। समारोह में 133वें देशभक्त दिवस को भी अन्य गया। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों एवं वक्ताओं ने बीर टिकेंद्रजीत सिंह गाथा और स्वतंत्रता में उनके योगदानों पर प्रकाश डाला। मालूम हो कि बीर टिकेंद्रजीत सिंह (29 दिसम्बर, 1856 – 13 अगस्त, 1891) स्वतन्त्र मणिपुर रियासत के राजकुमार थे। उन्हें बीर टिकेंद्रजीत सिंह और कोइरेंग भी कहते हैं।
वे मणिपुरी सेना के कमाण्डर थे। वे महान देशभक्त और ब्रिटिश साम्राज्यवादी योजना के घोर विरोधी तथा देश की एकता-अखंडता के कट्टर समर्थक थे। उन्होंने साहसपूर्वक ब्रिटिश साम्राज्यवादी शक्ति के कूटनीतिक और विस्तारवादी कृत्यों से जनमानस को अवगत कराया तथा अदम्य साहस और निर्भीकता के साथ अंग्रेजी साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के विरुद्ध युद्ध किया। इसी कारण उन्हें ‘मणिपुर का शेर’ कहा जाता है। यहाँ तक कि ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सरकार ने उनकी वीरता, निडरता तथा पराक्रम की तुलना एक ‘खतरनाक बाघ’ से की थी। भारत के स्वतंत्रता-संग्राम में उनका अद्वितीय स्थान है।
उन्होंने ‘महल-क्रांति’ की जो मणिपुर रियासत के शासन में अंग्रेजों के परोक्ष हस्तक्षेप के विरुद्ध एक खुला विद्रोह ही था। इसके फलस्वरूप 1891 में आंग्ल-मणिपुर युद्ध शुरू हुआ। बड़े संघर्ष के बाद अंग्रेज विजयी हुए। इस युद्ध में शहीद होने वाले राज्य के वीर नायकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मणिपुर राज्य प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त के दिन “देशभक्त दिवस” मनाता है।