Thursday, December 26, 2024

असम विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा के मुख्य कार्यक्रम का भव्य आयोजन

 

विदेशों में भी हिंदी बोली और समझी जाने लगी है: प्रोफेसर राजीव मोहन पंत

आज दिनांक 27 सितंबर 2024 को असम विश्वविद्यालय के प्रेमेंद्र मोहन गोस्वामी सभा कक्ष में हिंदी पखवाड़ा के मुख्य समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। कार्यक्रम चार चरणों में विभाजित था। उद्घाटन सत्र में सर्वप्रथम सभी का स्वागत किया गया तत्पश्चात दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ।

अपने अध्यक्षीय भाषण में माननीय कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने राजभाषा प्रकोष्ठ की सराहना करते हुए कहा कि पहले हम हिंदी अथवा भारतीय भाषाओं को बोलने वालों को दोयम दृष्टि से देखते थे, परंतु आज स्थिति बदली है और पूरा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हिंदी बोली और समझी जाने लगी है।

उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री विदेश में हिंदी में जब अपना संवाद करते हैं तो पूरी दुनिया हिंदी में संवाद करने लगती है और नमस्ते-नमस्ते का नारा पूरे विश्व में गूंजने लगता है। हिंदी के लिए यह शुभ संकेत है। उन्होंने प्रियोगिताओं के सभी विजेता कर्मचारियों को शुभकामनाएं दी।

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. प्रदोष किरण नाथ ने कर्मचारियों को शुभकामनाएं प्रदान करते हुए कहा कि इस तरह से कार्यक्रम के आयोजन से निश्चय है कर्मचारियों में उत्साह एवं प्रोत्साहन का संचार होगा और हम आशा करते हैं कि यह कार्यक्रम हिंदी के विकास में उपयोगी साबित होगा।

वित्त अधिकारी डॉ. शुभदीप धर ने भी कर्मचारियों को शुभकामनाएं प्रदान की। इस अवसर पर प्रो. यियूष पाण्डेय ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी का स्वरूप विरोध का नहीं है बल्कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं को समाहित करती हुई चलती है। हिंदी विरोध की नहीं बल्कि समन्वय की भाषा।

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विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ प्रोफेसर एवं पूर्व निदेशक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, डॉ. ज्ञान प्रकाश पाण्डेय ने भी कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हिंदी बोलते हुए हम सभी भारतवासियों को गर्व महसूस होता है।

इस अवसर पर एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसका विषय राजभाषा, राष्ट्रभाषा और संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की स्थिति था। संगोष्ठी का निष्कर्ष यही था कि हिंदी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। हिंदी एक प्रदेश को दूसरे प्रदेश से जोड़ने वाली संपर्क भाषा है और देश की राष्ट्रभाषा के रूप में भी अपनी भूमिका में प्रथम स्थान रखती है।

इस विषय के समालोचना में प्रमुख रूप से प्रो.अजीता तिवारी, प्रो. रामकुमार महतो जी, प्रो. गोविंद शर्मा आदि प्रमुख रूप से भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुरेंद्र कुमार उपाध्याय, हिंदी अधिकारी ने किया और विषय की स्थापना एवं उसकी व्यापकता से उपस्थित सभी हिंदी प्रेमी को अवगत कराया। तत्पश्चात हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं के सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

चंद्रकांत दास, श्यामल आचार्यजी, अभिजीत चंद्र दास, निर्मल दत्ता, पिनाक कांति राय, नारायण चक्रवर्ती, अनूप कुमार वर्मा, संगीता ग्वाला, बबली आदि प्रतिभागी थे। पृथ्वीराज ग्वाला, हिंदी अनुवाद ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। संतोष ग्वाला, हिंदी टंकक ने कार्यक्रम की सफलता के लिए विशेष योगदान दिया। उनके योगदान के बिना कार्यक्रम को सफल नहीं बनाया जा सकता था।

योगेश दुबे

 

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