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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), सिलचर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा संबंधित क्षेत्र में मौजूदा प्रगति पर 6वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीआरएएमई) शुक्रवार से आरंभ हुआ। आगामी 2 मार्च तक चलेगा। यह प्रतिष्ठित सम्मेलन मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अभूतपूर्व नवाचारों पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए दुनिया भर के प्रमुख शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों और शिक्षाविदों को एक साथ लाएगा।
आईसीआरएएमई – 2025 ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक गतिशील मंच के रूप में काम करेगा, जिसमें प्रख्यात हस्तियों द्वारा मुख्य भाषण, तकनीकी सत्र और उन्नत विनिर्माण, रोबोटिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा, सामग्री विज्ञान, कम्प्यूटेशनल यांत्रिकी और स्वचालन प्रौद्योगिकियों जैसे अत्याधुनिक विषयों पर पैनल चर्चाएं शामिल होंगी। सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटना, तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय वक्ता प्रो. एंटोनेला इंजेनिटो, सैपिएंजा विश्वविद्यालय,(रोम) प्रो. समन के. हलगामुगे, द यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया, प्रो. कपिल गुप्ता, यूनिवर्सिटी ऑफ जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका, प्रो.पीके. घोष, आईआईटी रुड़की, प्रो. कौस्तुभ मोहंती, आईआईटी गुवाहाटी, प्रो. रमेश सिंह, आईआईटी बॉम्बे, प्रो. ए. पलानी, आईआईटी इंदौर, प्रो. एन. नरसैया, एनआईटी वारंगल, तेलंगाना, डॉ. रीताब्रत ठाकुर, आईआईटी दिल्ली और विभिन्न प्रतिष्ठित उद्योगों के कई वक्ताओं ने भी सम्मेलन में उपस्थित थे और अपना बहुमूल्य विचार प्रस्तुत करेंगे।
इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों और अन्य जगहों से कुल 238 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए हैं। सम्मेलन में प्रस्तुति के लिए 160 शोध पत्र स्वीकार किए गए हैं, जो अकादमिक और शोध उत्कृष्टता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करते हैं। यह सम्मेलन विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उद्योग अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के साथ बातचीत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है।
सम्मेलन में दुनिया भर के प्रतिभागियों को भविष्य के विकास के लिए विचारों, नवाचारों, शोध विषयों को आपस में साझा करने का एक दिलचस्प अवसर मिला है। सम्मेलन के बारे में बोलते हुए, संयोजक डॉ. सुदीप्त हलदर ने मीडिया से कहा, इस आयोजन का उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जहाँ नवाचार पनपे, समाधान सामने आएं और आधुनिक इंजीनियरिंग चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित हो।
जवाहरलाल पांडेय