कछार जिले के पुलिस अधीक्षक नुमाल महत्ता ने दी जानकारी
प्रतिबंधित नशीली पदार्थों के परिवहन खिलाफ कछार पुलिस का अभियान जारी है। इस क्रम में पुलिस एक और बड़ी सफलता मिली है। एक विशेष इनपुट पर कछार पुलिस ने तीन जनवरी की रात अभियान चलाया। रात्रि लगभग दो बजे बड़खोला पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत दामचेरा, हिल्स सेक्सन साइड में, के पास गहन और निरंतर तलाशी के बाद पुलिस टीम ने राष्ट्रीय राजमार्ग पुलिया के नीचे छिपाए गए 74, प्रत्येक बॉक्स में 150 बोतलें, बॉक्स में कुल 11100 (ग्यारह हजार एक सौ) बोतलें कोडीन आधारित कफ सिरप बरामद की।
अंतर्राष्ट्रीय ब्लैक मार्केट में जब्त मादक पदार्थ की कीमत लगभग 2 (दो) करोड़ रुपये है। एक व्यक्ति को पकड़ा गया है। उचित कार्रवाई की जा रही है। आगे की जांच जारी है। कछार पुलिस अधीक्षक नुमाल महत्ता ने इसकी जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा का राज्य को नशा मुक्त करने के ध्येय को सार्थक करने का काम पुलिस कर रही है। मादक पदार्थ की अवैध तस्करी और तस्करों के विरुद्ध अभियान आगे भी निरंतर जारी रहेगा। प्रतिबंधित कोडीन आधारित सिरप की की खेप कहां से आया, इस मामले में मूल रूप से कौन जड़ित है, इस संबंध में पुलिस जांच कर रही है।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब केंद्र सरकार ने पिछले साल कोडीन से बनी कफ सिरप पर प्रतिबंध लगाया था। दरअसल, कोडीन एक दवा है, लेकिन इसे नशे के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. नशे के आदी लोगों के बीच इसकी मांग तेजी से बढ़ रही थी। कोडीन एक तरह का ओपिओइड है, जो खांसी और हल्के से मध्यम दर्द के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मेडिकल फील्ड में इसे डॉक्टर की सलाह पर ही इस्तेमाल किया जाता है। यह मुख्य रूप से खांसी को दबाने और दर्द से राहत देने के लिए जाना जाता है। यह मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करता है जो खांसी की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो, इसके असरदार होने के बावजूद कोडीन का अंधाधुंध इस्तेमाल कई समस्याओं को जन्म दे सकता है।
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जब कोडीन से बनी दवा को खाया जाता है, तो यह शरीर में जाकर लिवर में मेटाबोलाइज होती है। इस प्रोसेस में कोडीन का एक हिस्सा मॉर्फिन में बदल जाता है, जो कि दर्द और खांसी को कम करने में मुख्य भूमिका निभाता है. मॉर्फिन नर्वस सिस्टम को धीमा करके शरीर को आराम का एहसास कराता है। हालांकि, कोडीन को एक तय मात्रा में ही खाना फायदेमंद होता है। लेकिन इसकी लत लगने का खतरा हमेशा बना रहता है। बार-बार सेवन करने से व्यक्ति को इसकी आदत लग सकती है, जिससे दवा पर निर्भरता बढ़ती है और ओवरडोज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कोडीन से बनी कफ सिरप का दुरुपयोग अक्सर नशे के लिए किया जाता है। कम कीमत, आसानी से उपलब्धता, और इसके नशे वाले प्रभाव इसे युवाओं के बीच लोकप्रिय बना देते हैं।असम में जब्त की गई कफ सीरप इसी का उदाहरण है। इस तरह के गलत इस्तेमाल से न व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि समाज में अपराध और अवैध कारोबार भी बढ़ता है।
कोडीन का जरूरत से ज्यादा या बेवजह सेवन कई बार बहुत खतरनाक हो जाता है। इसका नशा करने वाले का दिमाग काम करना बंद कर देता है, कई बार उसे इसके चलते मिर्गी के दौरे शुरू हो जाते है। बच्चों को दिमागी बीमारियां घेर लेती हैं। कोडीन की लत लगना संभव है, इसलिए अगर आपको इसे कुछ सप्ताह से अधिक समय तक लेना है, तो आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि इसे कब और कैसे लेना बंद करना है। 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोडीन नहीं दिया जाना चाहिए जब तक कि सलाह न दी जाए।
कोडीन एक प्रभावी दवा है, लेकिन इसके उपयोग में सावधानी और नियमों का पालन बेहद जरूरी है। सरकार ने कोडीन युक्त दवाओं की बिक्री पर कड़ी निगरानी और नियम बनाए हैं। डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के बिना इन दवाओं की बिक्री गैरकानूनी है। इसके बावजूद, अवैध रूप से इसका उपयोग और व्यापार होता है।
योगेश दुबे / एजेंसी