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सिलचर के श्यामाप्रसाद रोड स्थित क्रांतिकारी उल्लासकर दत्त की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर विमेंस कॉलेज, सिलचर के प्राचार्य डॉ. सुजीत तिवारी ने श्रद्धांजलि निवेदित की । इस अवसर पर कॉलेज के शिक्षक-शिक्षिकाएं, कार्यालय कर्मी एवं छात्राएं भी उपस्थित रहे।
बुधवार को उल्लासकर दत्त की आवक्ष प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए प्राचार्य डॉ. सुजीत तिवारी ने कहा, “क्रांतिकारी उल्लासकर दत्त एक महान देशसेवक एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक अद्वितीय योद्धा थे, जिनका जीवन आज की पीढ़ी के लिए अमूल्य प्रेरणा का स्रोत है।” डॉ. तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि उल्लासकर दत्त का जन्म 1885 में हुआ था। उन्होंने प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्ययन आरंभ किया।
उस समय एक अंग्रेज प्रोफेसर द्वारा भारत विरोधी टिप्पणी किए जाने पर उनके मन में ब्रिटिश शासन के प्रति विरोध की भावना प्रबल हुई—क्योंकि एक सच्चा देशभक्त अपनी मातृभूमि का अपमान सहन नहीं कर सकता। 1905 में बंग-भंग के विरोध में उन्होंने क्रांतिकारी दल का मार्ग अपनाया। 1908 में बम निर्माण के एक मामले में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई, किंतु उच्च न्यायालय में अपील के पश्चात उनकी सजा को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर उन्हें अंडमान के कुख्यात ‘सेलुलर जेल’ (काला पानी) में भेजा गया।
वहां उनके साथ अमानवीय अत्याचार हुआ, जिसके फलस्वरूप उन्होंने मानसिक संतुलन खो दिया। कई वर्षों की कठिन यातना के उपरांत वे 1920 में जेल से मुक्त हुए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1948 में वे विभाजित बंगाल को छोड़ अपनी पत्नी सहित स्थायी रूप से सिलचर में बस गए और 1965 में वहीं उनका निधन हुआ। डॉ. तिवारी ने कहा कि विमेन्स कॉलेज की ओर से इस महान स्वतंत्रता सेनानी की जयंती पर श्रद्धा अर्पण करते हुए हम नई पीढ़ी से आग्रह करते हैं कि वे उल्लासकर दत्त के संघर्षमय जीवन से प्रेरणा ग्रहण करें और उनके जीवन दर्शन को आत्मसात करें।
इस अवसर पर कॉलेज के उपाचार्य एवं आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. शांतनु दास, वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. सर्वाणी विश्वास सहित अनेक शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्राएं उपस्थित थीं। कार्यालय कर्मियों में प्रमुख रूप से शिवेंदु दास, माम्पु दास, अरिंदम नाथ एवं अन्य कर्मचारियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।