सिलचर के अन्नपूर्णा घाट पर बराक नदी में डूबते सूर्य को अर्घ्य देती व्रती महिलाएं।
लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। लोग भक्ति भाव से अर्घ्य दिए। घाटों पर उमड़ी छठी मईया के व्रतियों ने सूप पर फल, ठेकुए, केसार, नारियल सजाकर पहुंचे। छठी मइया को अर्पित करते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। बराक नदी पर सिलचर के अन्नपूर्णा घाट, जानीगंज, सदर घाट, रंगपुर, मालूग्राम, शिवबाड़ी, गंगापुर, एनआईटी, शिलकुड़ी से लेकर कछार जिले के विभिन्न जगहों पर नदियों, तालाबों छठ घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है।
वहीं, कुछ लोग घरों की छतों और स्थानीय तालाबों में भी छठ पूजा का उत्सव मना रहे हैं। इस दौरान सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा गया। आयोजन समितियों ने भी अपनी ओर से घाटों पर व्रतियों के सुविधा अनुसार व्यवस्था कर रखी थी। जिलों में इस पर्व के दौरान आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम देखा गया, जहां श्रद्धालु अपने परिवार की खुशहाली के लिए सूर्यदेव की उपासना में लीन रहे। छठ पूजा को लेकर भक्तिमय माहौल दिखाई दिया। बांस के सूप में प्रसाद चढ़ाते हुए ये महिलाएं परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
डूबते सूर्य की लालिमा और श्रद्धालुओं की आस्था इस दृश्य को और भी अलौकिक बनाया। व्रती महिलाएं पानी में खड़ी होकर अपने माथे पर नाक तक सिंदूर लगाया, यह छठ पूजा का एक विशेष रिवाज है, जो सौभाग्य और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। व्रती महिलाएं कतार में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर रही हैं. पारंपरिक वेशभूषा में सजी इन महिलाओं ने बांस के सूप में पूजा सामग्री लेकर सूर्यदेव के प्रति आस्था प्रकट की।
इस अवसर पर भारी भीड़ देखी गई और जिला प्रशासन ने व्यवस्था का पूरा ख्याल रखा ताकि सभी श्रद्धालु सुगमता से पूजा कर सकें। अन्नपूर्णा घाट पर अरुण कुमार महतो, पंडित आनंद दुबे और प्रमोद जायसवाल छठ पूजा के आयोजन तथा इस पूजा महत्व पर प्रकाश डाला। अन्नपूर्णा घाट बहुत अधिक भीड़ उमड़ी। इस दौरान इस पूजा को देखने वालों की भीड़ देखी गई। कछार जिले अमूमन सभी स्थानों, विशेषकर चाय बागानों में, पर छठी मइया की पूजा और भगवान भाष्कर को अर्ध्य दिया गया।
Yogesh Dubey