इस निर्णय को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं।
असम सरकार ने करीमगंज जिले का नाम बदलने का फैसला किया है। यह फैसला असम कैबिनेट की बैठक में लिया गया और मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने खुद इस बदलाव की जानकारी दी। अब करीमगंज को ‘श्रीभूमि’ के नाम से जाना जाएगा। यह फैसला राज्य सरकार द्वारा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने कहा कि “करीमगंज” शब्द असमिया और बांग्ला दोनों ही भाषाओं में कोई स्पष्ट या प्रासंगिक अर्थ नहीं रखता।
उन्होंने यह भी कहा कि इस नाम को बदलकर ‘श्रीभूमि’ रखने से जिले की पहचान को एक नया और सांस्कृतिक संदर्भ मिलेगा, जो असम की विविधता और इतिहास से मेल खाता है। डॉ. शर्मा ने इस फैसले को असम की सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त बनाने के रूप में प्रस्तुत किया है। उनका कहना था कि ‘श्रीभूमि’ नाम इलाके की ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि को उजागर करेगा। यह कदम असम के स्थानीय लोगों की परंपराओं और विरासत से जुड़ा हुआ है, और इस नाम से क्षेत्र की पहचान में एक नया आयाम जुड़ सकता है।
100 साल से भी पहले, कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने असम के आधुनिक करीमगंज जिले को ‘श्रीभूमि’ – माँ लक्ष्मी की भूमि के रूप में वर्णित किया था। आज असम कैबिनेट ने हमारे लोगों की इस लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है। इस निर्णय को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। जहां कुछ लोग इस बदलाव का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कुछ इसे प्रतीकात्मक कदम मानते हुए सवाल उठा रहे हैं कि क्या इससे क्षेत्र के विकास या सामाजिक स्थिति में कोई वास्तविक बदलाव आएगा। एजेंसी