भाकपा सभा को संबोधित करते हुए त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार।
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार आज यहां सिलचर शहर में आयोजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की एक सभा को संबोधित करते हुए भाजपा को घेरा। उन्होंने कहा कि भाजपा लोगों के बुनियादी अधिकार कृषि से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक छीनना चाहती है। जिस तरह से हालात चल रहे हैं, अगर भाजपा सरकार लंबे समय तक सत्ता में रही तो आम लोगों को अपने पैरों तले कुचल देगी।
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार कहा उनके मुताबिक ऐसी स्थिति न आए इसके लिए तीव्र आंदोलन खड़ा कर भाजपा को सत्ता से बेदखल करना होगा। भाकपा कछार जिला कमेटी के 24वें सम्मेलन के अवसर पर शुक्रवार को सिलचर नरसिंहतोला मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए माणिक सरकार ने भाजपा को उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि उनके खिलाफ कोई विरोध आंदोलन नहीं चल रहा है. लेकिन इसे बड़े पैमाने पर होना होगा।
यह कहते हुए कि उनकी पार्टी भाकपा को इस संबंध में एक विशेष भूमिका निभानी है। उन्होंने पड़ोसी देश श्रीलंका का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि श्रीलंका पर लंबे समय तक पूंजीवाद समर्थित सरकारों का शासन रहा है। आम लोगों की दुर्दशा के बाद किस तरह वामपंथी सरकार को सत्ता में लाया गया, इसका उदाहरण सामने आने पर संघर्ष अवश्य होना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा लगातार तीन बार सत्ता में आई है। इसमें निराश होने की कोई बात नहीं है। उस पार्टी से धीरे-धीरे नागरिकों का मोहभंग हो रहा है।
लोकसभा चुनाव में अब की बार 400 पार की नारा देने वाली भाजपा को मतदाताओं द्वारा अच्छी सीख मिली है। अंत में पार्टी को बहुत कम सीटें मिलीं। इतना ही नहीं भाजपा का वोट प्रतिशत भी काफी घट गया है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि आम देशवासियों का धीरे-धीरे भाजपा से मोहभंग हो रहा है। इसे समझते हुए देशवासियों के बीच धर्म और समुदाय के चौराहे पर फूट डालने की कोशिश की जा रही है ताकि बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की नौबत न आ जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बार भाजपा को 400 सीटें मिलती हैं तो वह संविधान को नष्ट कर देती। उन्होंने भाजपा के “एक देश, एक चुनाव” के नारे या एजेंडे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये वास्तव में सत्ता को केंद्रीकृत करने की साजिश के अलावा कुछ नहीं हैं। इस तरह से भाजपा संघीय ढांचे को नष्ट करना चाहती है। यदि यह सफल हुआ तो एक धर्म, एक नेता, एक भाषा, एक संस्कृति और संस्कृति होगी। इस बार भाजपा इन एजेंडों को लागू करने की कोशिश करेगी, भले ही उसे 400 सीटें न मिलें। इसलिए देश के संविधान की रक्षा के लिए उस पार्टी को उखाड़ फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने देश में बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार पर भी भाजपा सरकार को घेरा।