Monday, December 23, 2024

‘नेटिव फॉरेनर्स, द इंडो – पुर्तगाली कम्युनिटी ऑफ कछार’ नामक पुस्तक का विमोचन  

 

प्रोफेसर डॉ. शिवशंकर मजूमदार और शिक्षाविद् एवं लेखक फादर रेव. पुष्पराज की ज्ञानवर्धक पुस्तक “नेटिव फॉरेनर्स” द इंडो-पुर्तगाली कम्युनिटी पुस्तक एक ज्ञानवर्धक तथा युवा पीढ़ी को बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

सिलचर में सोमवार को ‘नेटिव फॉरेनर्स, द इंडो – पोर्तुगीस कम्युनिटी ऑफ कछार’ नामक एक पुस्तक का विमोचन हुआ। पुस्तक में बराक घाटी में पुर्तगालियों के इतिहास के संबंध में जानकारियां लिखी गई है। असम विश्वविद्यालय, सिलचर में इंग्लिश विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शिव शंकर मजूमदार और शिक्षाविद एवं लेखक फादर रेव पुष्पा राज ने अपने अध्ययन के आधार पर लिखा है।

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प्रोफेसर डॉ. शिवशंकर मजूमदार और शिक्षाविद् एवं लेखक फादर रेव. पुष्पराज की ज्ञानवर्धक पुस्तक “नेटिव फॉरेनर्स” द इंडो-पुर्तगाली कम्युनिटी पुस्तक एक ज्ञानवर्धक तथा युवा पीढ़ी को बहुत कुछ जानने को मिलेगा। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कुमार ने इस पुस्तक का लोकार्पण किया। विमोचन पश्चात विशिष्ट अतिथि दिलीप कुमार ने कहा, यह पुस्तक निस्संदेह ऐतिहासिक महत्व की पुस्तक है।

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इस पुस्तक को पढ़कर छात्र बहुत कुछ सीख सकते हैं। हर व्यक्ति को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए। रेव फादर पुष्पराज ने कहा, वह पुस्तक के सह-लेखक शिव शंकर मजूमदार का आभारी है। बराक घाटी का इतिहास हर किसी को जानना चाहिए, बराक घाटी में विभिन्न समुदाय हैं, यह पुस्तक बदरपुर के बंदशिल गांव में रह रहे पुर्तगाली लोगों पर प्रकाश डालती है। उन्होंने स्थानीय इतिहास के अध्ययन के महत्व पर प्रकाश डाला।

मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए प्रकाशित पुस्तक के बारे में बताया गया। प्रो. मजूमदार ने कहा कि बराक घाटी के एक ऐसी कम्युनिटी के इतिहास के बारे में लिखा गया है, जिसके संबंध में बहुत अधिक जानकारी लोगों को नहीं है। करीमगंज जिले के बदरपुर में बराक नदी के किनारे ऐसे लोग रहते हैं, जो अपने को पुर्तग़ाली के वंशज मानते है।

बराक घाटी में वह कब आए और किस प्रकार स्थानीय भाषा संस्कृति के साथ घुलमिल गए इस संबंध में सही तथ्य लिखने का प्रयास किया गया है। ऐसा माना जाता है कि उनके पूर्वज अंग्रेजों से पूर्व वह आए थे। इसका बांग्ला संस्करण भी निकालने की योजना चल रही।

योगेश दुबे

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