संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया।
मतदाताओं को डर दिखा रही है भाजपा: देबब्रत सैकिया
असम विधानसभा में विपक्षी नेता देबब्रत सैकिया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि भाजपा में परिवारवाद कांग्रेस से ज्यादा है। उन्होंने भाजपा नेताओं के नामों की सूची जारी की और कहा कि सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की बजाय अपनी पार्टी के अंदर भी झांक लेनी चाहिए। सैकिया ने भाजपा पर बढ़ा गंभीर आरोप मढ़ते हुए कहा कि मतदाताओं में भय का माहौल बनाकर उपचुनाव में मत हासिल करने का प्रयास सत्तारूढ़ दल द्वार हो रही है।
राज्य विधानसभा में विपक्षी नेता देबब्रत सैकिया ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी वोट बटोरने के लिए मतदाताओं को डरा रही है। सैकिया ने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के उस बयान की कड़ी आलोचना की, जिसमें कांग्रेस में परिवारवाद होने के गंभीर मढ़े गए हैं। कांग्रेस के इस नेता ने कहा कि भाजपा भ्रामक प्रचार के बल पर मूल मुद्दे से भटका कर मतदाताओं को गुमराह में कर देती है। नतीजतन ज्वलंत समस्याएं दब जाती है। सैकिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के तीन सदस्यों का उदाहरण दिया। जबकि हकीकत यह है कि भाजपा में भी वंशवाद व्याप्त है।
सैकिया ने खुलकर बोले और परिवारवाद राजनीति पर अनेक उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि परिवारवाद के मुद्दे पर शब्द मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देते। राज्य विस में विपक्षी नेता सैकिया ने आगे आरोप लगाया, “ईमानदारी से कहूं तो मुख्यमंत्री द्वारा विपक्ष में ‘परिवारवाद’ पर हमला करने और अपनी पार्टी में परिवारवाद को प्रोत्साहित करने में कोई विशेष निरंतरता नहीं देखता। उनकी ( भाजपा ) पार्टी सांसदों, मंत्रियों और अन्य लोगों से भरी हुई है, जो सभी अन्य वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारियों के बेटे या बेटियां हैं।”
सैकिया पिछले दो दिनों से धोलाई उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार ध्रुबज्योति पुरकायस्थ के समर्थन में प्रचार करने के बाद शुक्रवार को लौटे। प्रस्थान से पूर्व सिलचर जिला मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन किया। उन्होंने भाजपा की धमकी के संबंध में कहा कि मंत्री जयंत मल्लबरुआ ने धोलाई भागा बाजार में एक बैठक में स्थानीय व्यापारियों को लक्ष्य करके जो कहा वह बहुत चिंताजनक है। भाजपा लोगों को डरा धमकाकर मत हासिल करना चाहती है। सत्तारूढ़ दल की ओर से यह संदेश देने का प्रयास किया जा रहा, उन्हें मतदान नहीं करने से दिक्कत हो सकती है। डराने-धमकाने का उदाहरण देते हुए सैकिया ने मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा के बयान का भी हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि भाजपा उम्मीदवार निहार रंजन दास के खिलाफ की गई बांग्लादेशी शिकायत पर मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया देने की बजाय उलटे हिंदू बंगाली के लिए अप्रत्यक्ष खतरा बताया। हिंदू बंगाली के विरुद्ध नोटिस आ सकते है यह डर दिखाया।. कईयों को नोटिस जाएगा, उन्हें ट्रिब्यूनल तक दौड़ना पड़ेगा। ऐसा कहकर मुख्यमंत्री ने दरअसल बंगाली हिंदुओं को दबाव में डालकर वोट लेने की कोशिश की है। निहार रंजन दास पर बांग्लादेशी होने के आरोप भाजपा नेता तथा वीडीपी उप सलाहकार ने लगाया था।
वीडीपी में इतने जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह की शिकायत किये जाने के बाद मुख्यमंत्री को इसकी मजिस्ट्रेट स्तर की जांच करानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा करने के बजाय, मुख्यमंत्री ने आरोपों को खारिज करके अप्रत्यक्ष रूप से बंगाली हिंदुओं को धमकी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि बराक घाटी में आकर मुख्यमंत्री के वोट की खातिर बंगाली हिंदुओं पर दया की। भाजपा सरकार में लोगों को नागरिकता के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस में परिवारवाद को लेकर मुख्यमंत्री की शिकायत पर जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के तीन उदाहरण दिये गए. लेकिन भाजपा में परिवारवाद के कम से कम 30 उदाहरण दिए जा सकते हैं।
सैकिया ने भाजपा पर कई मामलों में बराक घाटी के निवासियों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने अपने शब्दों में लाखों नौकरियों का दावा किया, लेकिन बराक घाटी के 1000 युवक-युवतियों को नौकरी नहीं मिली। इसके अलावा ऊपरी असम में भाजपा के वोट टूटने के बाद वहां जल संसाधन विभाग के गेस्ट हाउस को सचिवालय घोषित कर काम शुरू कर दिया गया है। लेकिन वर्ष 2016 में बराक घाटी में मिनी सचिवालय बनाने की बात कही गई थी लेकिन आज तक इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है।
इसके अलावा, बर्मीज सुपारी के साथ एक सिंडिकेट चलाने की खातिर बराक घाटी के स्थानीय सुपारी व्यवसाय में जटिलताएँ पैदा की गई हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं। इससे स्पष्ट है कि भाजपा सरकार बराक वासियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है। फिर उन्होंने उपचुनावों को लेकर कहा, आमतौर पर उपचुनावों में सत्ताधारी दल को सत्ता मिलती है। बावजूद धोलाई समेत असम के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है। कांग्रेस पांचों सीटों पर बराबरी पर लड़ रही है और भाजपा इससे डरी हुई है।
इसका प्रमाण यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने खुद कहा कि वह झारखंड में व्यस्त हैं और असम में प्रचार करने नहीं आएंगे। लेकिन आखिरकार वह असम आए और उन्हें पांच निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा था कि असम में एक भी लकड़ी का पुल नहीं है। लेकिन धोलाई में उन्होंने खुद ही दो लकड़ी के पुल पार कर लिए। जिस समूह के विधायक मंत्री बनने के बाद भी ऐसी स्थिति में हों, उस समूह में अन्य समूहों की स्थिति कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाना आसान है। लेकिन भाजपा नेतृत्व अपने स्वाभिमान पर चूर होकर इन बातों को दबा देता है और सिर्फ विकास का ढिंढोरा पीटता है।
उनका रवैया भाजपा को नीचे गिरा देगा. जिसकी शुरुआत इस साल के उपचुनाव से होगी। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत हितेश्वर सैकिया के कार्यकाल में बराक घाटी को कुछ नहीं मिला था, यह आरोप मंत्री जयंत मल्लबरुआ की ओर से आया था। इस आरोप का भी जवाब उन्होंने दिया। सैकिया ने कहा कि उनके दिवंगत पिता के नाम को इस चुनाव में घसीटना नहीं चाहिए था।