पीएम मोदी ने चाय बागान के काम से जुड़े लोगों द्वारा बजाया जाने वाला पारंपरिक ढोल धोमसा भी बजाया
झुमोइर बिनंदिनी – 2025, एक शानदार सांस्कृतिक उत्सव है जिसमें 8,600 कलाकार झुमोइर नृत्य में भाग लिया, जो असम चाय जनजाति और असम के आदिवासी समुदायों का एक लोक नृत्य है जो समावेशिता, एकता और सांस्कृतिक गौरव की भावना को दर्शाता है। असम के समन्वित सांस्कृतिक मिश्रण का प्रतीक है। मेगा झुमोइर कार्यक्रम चाय उद्योग के 200 वर्षों और असम में औद्योगीकरण के 200 वर्षों का प्रतीक है। कलाकारों ने इतिहास रच दिया। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर असम ने विश्व रिकार्ड दर्ज किया। इसके पूर्व गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम पहुंचने पर लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऊर्जा से बरा हुआ माहौल है। उल्लास और उमंग से पूरा स्टेडियम गूंज रहा है।
उन्होंने कहा, ‘एक समय था जब देश में असम और पूर्वोत्तर के विकास की उपेक्षा की जाती थी। यहां की संस्कृति को भी नजरअंदाज किया जाता था। लेकिन मोदी खुद पूर्वोत्तर की संस्कृति के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं।’
दरअसल, असम सरकार ने असम चाय उद्योग के 200 साल पूरे होने पर झुमोइर बिनंदिनी (मेगा झुमोइर) 2025 कार्यक्रम आयोजित किया। पूरे राज्य के चाय बागान के इलाकों से 8600 कलाकारों ने पीएम के सामने झुमोइर नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित 60 देशों के मिशन प्रमुख भी शामिल हुए।
झूमर नृत्य के आप सभी कलाकारों की तैयारी हर तरफ नजर आ रही है। इस जबरदस्त तैयारी में चाय बगानों की सुगंध भी है और उनकी सुंदरता भी है। चाय की खूशबू को एक चाय वाले से ज्यादा कौन जानेगा। मोदी ने अपने संबोधन में कहा, हमने असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। असम के लोग अपनी भाषा के इस सम्मान का इंतजार दशकों से कर रहे थे। मैं असम के काजीरंगा में रुकने वाला, दुनिया को उसकी जैव विविधता के बारे में बताने वाला पहला प्रधानमंत्री हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, असम के चराईदेव मोइदम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इस मान्यता को पाने में भाजपा सरकार के प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
भाजपा सरकार असम के विकास के साथ-साथ जनजातियों का समर्थन करने के लिए भी काम कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, चाय श्रमिकों की आय में सुधार के लिए असम चाय निगम के कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा की गई है। यह पहल चाय बागानों में काम करने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जिन्हें अक्सर गर्भावस्था के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। करीब 1.5 लाख गर्भवती महिलाओं को प्रत्येक को 15,000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा, असम सरकार परिवारों के स्वास्थ्य के लिए चाय बागानों में 350 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चाय जनजाति के बच्चों के लिए 100 से अधिक आदर्श चाय बागान स्कूल खोले गए हैं तथा 100 अन्य स्कूलों की योजना बनाई गई है।
उन्होंने चाय जनजाति के युवाओं के लिए ओबीसी कोटे में 3 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान तथा असम सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिए 25,000 रुपये की सहायता का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि चाय उद्योग तथा इसके श्रमिकों का विकास असम के समग्र विकास को गति देगा तथा पूर्वोत्तर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को उनके आगामी प्रदर्शन के लिए अग्रिम धन्यवाद दिया तथा शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज असम के लिए गौरव का दिन है, जिसमें चाय समुदाय और आदिवासी लोग समारोह में भाग ले रहे हैं। उन्होंने इस विशेष दिन पर सभी को शुभकामनाएं दीं। इस बात पर ध्यान दिलाते हुए कि इस तरह के भव्य आयोजन न केवल असम के गौरव का प्रमाण हैं, बल्कि भारत की महान विविधता को भी दर्शाते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब विकास और संस्कृति के मामले में असम और पूर्वोत्तर की उपेक्षा की जाती थी।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अब वे स्वयं पूर्वोत्तर संस्कृति के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि वे असम के काजीरंगा में रहने वाले और दुनिया के सामने इसकी जैव विविधता को बढ़ावा देने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ महीने पहले, असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था, एक मान्यता जिसका असम के लोग दशकों से इंतजार कर रहे थे। इसके अतिरिक्त, चराईदेव मोइदम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है, जो उनकी सरकार के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण परिणाम है। असम के गौरव, बहादुर योद्धा लाचित बोरफुकन, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ असम की संस्कृति और पहचान की रक्षा की, के बारे में बात करते हुए मोदी ने लाचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के भव्य समारोह पर प्रकाश डाला और उल्लेख किया कि उनकी झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में भी शामिल किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में लाचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई है। उन्होंने आदिवासी समाज की विरासत का जश्न मनाने के लिए जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी वीरों के योगदान को अमर बनाने के लिए देश भर में आदिवासी संग्रहालय स्थापित किए जा रहे हैं। यह टिप्पणी करते हुए कि उनकी सरकार असम का विकास कर रही है और ‘चाय जनजाति’ समुदाय की सेवा कर रही है। असम दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने चाय बागान के काम से जुड़े लोगों द्वारा बजाया जाने वाला पारंपरिक ढोल धोमसा भी बजाया।
इसका वीडिया राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने लिखा, प्रधानमंत्री ने चाय बागान समुदाय के हमारे बहनों और भाइयों द्वारा बजाया जाने वाला पारंपरिक ढोल धोमसा बजाया। इस कार्यक्रम में असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा, केंद्रीय मंत्री डॉ. एस जयशंकर, सर्बानंद सोनोवाल, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा, केंद्रीय राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।