File Photo (कई वर्ष पहले की तस्वीर है )
- मेघालय में भारत-बांग्लादेश सीमा का लगभग 42 किलोमीटर हिस्सा बिना बाड़ के है
- पहलगाम आतंकी हमले के बाद मेघालय में 444 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी गई है
बीएसएफ ने बांग्लादेश में बॉर्डर के आसपास के इलाकों में बढ़ रही कट्टरपंथी गतिविधियों को लेकर चिंता जताई है। हालांकि, मेघालय में बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने ये भी कहा है कि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने बीएसएफ के अधिकारियों की बैठकों में शेयर की गई सूचनाओं पर सक्रियता से कार्रवाई की है। मीडिया के साथ बातचीत में बीएसएफ के मेघालय फ्रंटियर के महानिरीक्षक ओम प्रकाश उपाध्याय ने कहा कि दोनों सीमा सुरक्षा बल 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में राजनीतिक सत्ता परिवर्तन के बाद भी रचनात्मक कार्य संबंध बनाए रखेंगे।
उन्होंने बताया, बीजीबी ज्यादा सक्रिय है और फ्लैग मीटिंग के दौरान हमने जो जानकारी उनसे शेयर की थी, उसके आधार पर कार्रवाई की है, जिसके परिणामस्वरूप दलालों और हाल ही में अवैध रूप से सीमा पार करने की कोशिश करने वालों की गिरफ्तारी हुई है। हालांकि, उन्होंने मेघालय की सीमा से लगे बांग्लादेश के कई जिलों में कट्टरपंथी तत्वों की गतिविधियों पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, उस देश में कट्टरपंथी तत्वों की गतिविधियां बहुत तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर शेरपुर, मैमनसिंह, नेत्रोकोना, जमालपुर और सिलहट जिलों में और यह चिंता का विषय है, क्योंकि वे सीमावर्ती आबादी को प्रभावित कर रहे हैं।
बीजीबी के डायरेक्टर जनरल मेजर मोहम्मद अशरफज्जमां सिद्दीकी ने फरवरी में नई दिल्ली में बीएसएफ प्रमुख दलजीत सिंह चौधरी से मुलाकात की और सीमा पर बाड़ लगाने से लेकर भारतीय कर्मियों पर हमलों तक के लंबित मुद्दों को हल करने पर सहमति जताई। हाल ही में बांग्लादेश के साथ राज्य की सीमा पर बल की तैयारियों का आकलन करने के लिए मेघालय के उप – मुख्यमंत्री प्रिस्टोन तिनसोंग ने एक समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें उपाध्याय शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि बीएसएफ और मेघालय पुलिस मिलकर राज्य भर में 27 चौकियों पर तैनात हैं और मजबूती के साथ साथ काम कर रहे हैं।
बीएसएफ अधिकारी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद मेघालय में 444 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा, पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर हम पूरी तरह से तैयार हैं। पिछले साल बांग्लादेश में विद्रोह के बाद से ही हमारे जवान सीमा पर हाई अलर्ट पर हैं। हमारे जवान हर समय सतर्क रहते हैं। हम सभी एहतियाती कदम उठा रहे हैं। उपाध्याय ने कहा कि गारो हिल्स में बांग्लादेशी नागरिकों का 90 प्रतिशत आगमन रुक गया है, क्योंकि सीमा द्वारों पर चौबीसों घंटे सुरक्षा व्यवस्था है। सीमा पर बचे हुए हिस्सों पर बाड़ लगाने की प्रगति पर उपाध्याय ने कहा, हम गारो हिल्स में एक अदालती मामले के कारण और जयंतिया हिल्स में स्थानीय जनता के विरोध के कारण सीमा पर बाड़ लगाने के काम को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं।
उपाध्याय ने कहा कि भूमि की अनुपलब्धता के कारण मेघालय में भारत-बांग्लादेश सीमा का लगभग 42 किलोमीटर हिस्सा बिना बाड़ के रह गया है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ इस मुद्दे को सुलझाने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है और मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मामले में बाधाएं जल्द ही दूर हो जाएंगी। सीमा पार तस्करी के मुद्दे पर उपाध्याय ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां फिलहाल नियंत्रण में हैं और इनमें गिरावट का रुख देखने को मिला है।
उन्होंने मौजूदा चुनौतियों पर जल्द ही काबू पाने की बीएसएफ की उम्मीद दोहराई। उपाध्याय ने कहा कि उन्हें भारतीय विद्रोही समूहों, विशेष रूप से मेघालय स्थित हिनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जो बांग्लादेश से काम कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीएसएफ को ऐसी कोई खुफिया जानकारी नहीं मिली है, जिससे पता चले कि ऐसे समूह मेघालय के सीमावर्ती क्षेत्रों से या उनके माध्यम से काम कर रहे हैं।
हालांकि, उन्होंने दोहराया कि मेघालय की सीमा के पास ऐसे विद्रोहियों की मौजूदगी या गतिविधि का सुझाव देने वाली कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं है। मेघालय की ओर अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्रोन देखे जाने के बारे में उपाध्याय ने कहा कि हालांकि कुछ घटनाओं की मीडिया में रिपोर्ट की गई थी, लेकिन गहन जांच से पता चला कि कुछ मामलों में, वे पर्यटकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले नागरिक ड्रोन थे। उन्होंने पुष्टि की कि ड्रोन से संबंधित किसी भी सूचना को बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के साथ तुरंत उठाया जाता है और किसी भी अनधिकृत ड्रोन को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।