लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
गुवाहाटी। राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 ने लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित किया। इस अवसर पर पूरे देश में संगठनों, नीति निर्माताओं और समुदायों ने बालिकाओं के अधिकारों की वकालत करने के लिए एकजुट होकर कार्य किया। इस वर्ष का विषय, “बालिका सशक्तिकरण: एक बेहतर कल के लिए समान अवसरों का निर्माण”, बालिकाओं के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने और उनके लिए एक ऐसा वातावरण बनाने का आह्वान करता है जिसमें वे उन्नति कर सकें।
यह कार्यक्रम ए एस सी पी सी आर के सहयोग से असम के गुवाहाटी में आयोजित किया गया था और बाल रक्षा भारत (बीआरबी) और विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी भागीदारों के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, संरक्षण और बालिकाओं के लिए समान अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न क्षेत्रों की बालिका चैंपियंस की आवाज़ों को मंच दिया गया।
कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास के विशेषज्ञों की पैनल चर्चा आयोजित किया गया । पैनल चर्चा के निष्कर्ष इस प्रकार हैं। बाल विवाह: 23.3% महिलाएं (20-24 वर्ष) 18 वर्ष की कानूनी उम्र से पहले शादी शुदा थीं। किशोर गर्भावस्था: 15-19 वर्ष की 6.8% किशोरियाँ माँ बन चुकी हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है। शिक्षा: महिला साक्षरता दर 71.5% तक पहुँच चुकी है, लेकिन ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में ड्रॉप आउट दर अभी भी चिंता का विषय है। लैंगिक आधारित हिंसा: महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ हिंसा के मामले अब भी चिंताजनक स्तर पर हैं, जिनमें से कई मामले रिपोर्ट ही नहीं होते।
ये आंकड़े बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनके सामने मौजूद लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए व्यापक हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। बीआरबी ने 22 राज्यों में विभिन्न सरकारी विभागों के साथ मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बालिकाओं की सुरक्षा में अंतराल को पाटने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं।सामुदायिक आधारित कार्यक्रमों, युवा-नेतृत्व वाली पहलों और क्षमता निर्माण के माध्यम से, बीआरबी परिवारों, स्थानीय नेताओं और सरकारी निकायों के साथ मिलकर उन सामाजिक मानदंडों को चुनौती देता है जो बालिकाओं के विकास में बाधा डालते हैं।
कार्यक्रम में बोलते हुए, बाल रक्षा भारत के प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन हेड, प्रदीप मिश्रा ने कहा, “हमारे देश का भविष्य हमारी बेटियों के सशक्तिकरण पर निर्भर करता है। उनकी सुरक्षा, शिक्षा और अवसरों को सुनिश्चित करके, हम एक मजबूत और अधिक न्यायपूर्ण समाज की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। आइए हम इस दृष्टि को वास्तविकता बनाने के लिए मिलकर काम करें।