बोरोबेकरा के जकुराधोर करोंग की तस्वीर।
मणिपुर के जिरीबाम जिले में हुई हिंसा की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए ) ने संभाल लिया है। एनआईए ने मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसा से संबंधित तीन प्रमुख मामलों की गहन जांच शुरू कर दी है। इस बात की जानकारी मंगलवार को एजेंसी की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में दी गई। एनआईए की टीम ने 21 और 22 नवंबर को घटनास्थल का दौरा किया और जांच शुरू कर दी। जांच एजेंसी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि मणिपुर पुलिस से मामले के दस्तावेज एनआईए को सौंपने की प्रक्रिया अभी चल रही है।
एनआईए के बयान में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के निर्देशों पर तेजी से कार्रवाई करते हुए दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए एनआईए ने मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसा से संबंधित तीन प्रमुख मामलों की गहन जांच शुरू की है। क्रूर हमलों के पीछे की बड़ी साजिश का पता लगाने के मकसद से आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने 13 नवंबर को तीन मामलों को फिर से पंजीकृत किया था, जब गृह मंत्रालय ने अपराधों की गंभीरता और संघर्षग्रस्त राज्य में बढ़ती हिंसा को देखते हुए जांच को एनआईए को सौंपने का फैसला किया था।
पहले मामले का विवरण देते हुए, एनआईए ने कहा कि बोरोबेकरा में कई घर जला दिए गए और दो नागरिक मारे गए। बाद में, अज्ञात आतंकवादियों ने तीन महिलाओं और तीन बच्चों सहित छह लोगों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी। यह भयावह घटना 11 नवंबर को हुई, जब कुछ अज्ञात सशस्त्र आतंकवादियों ने बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के साथ-साथ जकुराधोर करोंग में स्थित कुछ घरों और दुकानों पर गोलीबारी की. बाद में वहां आग लगा दी गई। इसके बाद पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें भारी गोलीबारी हुई। बाद में तलाशी अभियान में जले हुए घरों के अंदर से दो लाशें बरामद हुई हैं।
बयान में कहा गया है कि एनआईए ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 और शस्त्र अधिनियम, 1959 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला फिर से दर्ज किया है। दूसरा मामला जिसमें एनआईए ने जांच शुरू की है, वह 11 नवंबर को जिरीबाम में जकुराधोर करोंग और बोरोबेकरा पुलिस स्टेशनों पर स्थित सीआरपीएफ चौकी पर सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले से जुड़ा है। हमले में सीआरपीएफ के एक कांस्टेबल को गोली लगी और उसे इलाज के लिए सिलचर ले जाया गया। सुरक्षा बलों और पुलिस दल द्वारा की गई तलाशी के दौरान, हमले के आसपास से अज्ञात सशस्त्र आतंकवादियों के शव और हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए। एनआईए ने इस मामले को बीएनएस, 2023 और शस्त्र अधिनियम, 1959 की विभिन्न धाराओं के तहत फिर से दर्ज किया है।
तीसरा मामला पूरी तरह से सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा जिरीबाम में एक महिला की हत्या से संबंधित है। बयान में कहा गया है कि यह घटना 7 नवंबर को हुई थी, जब जिरीबाम के जैरोलपोकपी (ज़ैरावन) की तीन बच्चों की मां के साथ पूरी तरह से हथियारबंद आतंकवादियों ने उसके घर में बेरहमी से बलात्कार किया और उसे जिंदा जला दिया। मामला मूल रूप से 8 नवंबर को जिरीबाम पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. एनआईए ने बीएनएस, 2023, आर्म्स एक्ट, 1959 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला फिर से दर्ज किया है।
फिलहाल हिंसा के बाद स्थिति नाजुक है और इलाके दो धड़ों में बंटा हुआ है। मेतेई और कुकी – ह्मार समुदाय अपने – अपने क्षेत्रों में सिकुड़कर रह गए है। मेतेई कुकी – ह्मार क्षेत्रों में जाने से बच रहा, चूंकि हत्या का भय है। इसी प्रकार कुकी – ह्मार आदिवासी समुदाय भी हिल्स से निकलकर मैदानी क्षेत्र में नहीं आ रहा। कुकी – ह्मार समुदाय गांव की रक्षा के लिए अपने युवाओं को लगा दिया है। वहीं हिंसा के बाद सीआरपीएफ और असम राइफल्स ने कड़ाई के साथ गस्त बढ़ा दी है।
योगेश दुबे / एजेंसी