Tuesday, December 24, 2024

मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा, बच्चों और महिलाओं के लिए त्वरित न्याय होना चाहिए

फीता काटकर उद्घाटन करते मुख्यमंत्री  डॉ. हिमंत विश्व शर्मा, गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विजय विश्नोई 

लखीपुर सह -जिले में सब – डिविजनल जुडिशल मजिस्ट्रेट ( एम ) के न्यायालय के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन 

मुख्यमंत्री  डॉ. हिमंत विश्व शर्मा, गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विजय विश्नोई रविवार को कछार जिले के लखीपुर सह -जिले में 3.78 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित सब – डिविजनल जुडिशल मजिस्ट्रेट (एम) के न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन किया। इस मौके पर न्यायमूर्ती सुमन श्याम और न्यायमूर्ती कल्याण राय सुराणा, जिला न्यायाधीश बिप्रोजित रॉय, डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुलाल मित्र, कछार जिला आयुक्त मृदुल यादव सहित अन्य उपस्थित रहे। लखीपुर के विधायक कौशिक राय व भाजपा के अन्य कई विधायक दीपायन चक्रवर्ती, मिहिर कांति सोम, कृष्णेंदु पाल, विजय मालाकार, कमलाख्य डे पुरकायस्थ, निहार रंजन दास समेत गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों और महिलाओं के लिए त्वरित न्याय होना चाहिए। वकील समुदाय से आग्रह किया महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध पर यह कोशिश की जाए कि दोषियों को जल्द सजा हो सके। मुख्यमंत्री कहा कि न्याय में देरी से लोगों में गलत संदेश जाता है। बच्चों और महिलाओं के मामले में त्वरित न्याय होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि असम में देखा गया है कि पीड़ित को बलि का बकरा बनाकर मामले को समझौते के जरिए रफा – दफा कर दिया जाता है। पीड़ितों को न्याय मिल सके इसके लिए ही अदालत है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति को दोहराते हुए बोरोसा मोबाइल ऐप और ई-सेवा केंद्र जैसे उपायों की रूपरेखा तैयार की, जो संकट में महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करते हैं।

न्यायिक सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “न्याय की सुगमता” के दृष्टिकोण के अनुरूप है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह आधुनिक सुविधा न्यायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगी और लखीपुर और व्यापक बराक घाटी के लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में काम करेगी। डॉ. शर्मा ने कहा, यह नया न्यायालय परिसर लोगों को समय पर और कुशल न्याय प्रदान करने के उनके समर्पण का प्रमाण है। यह असम के न्यायिक बुनियादी ढांचे को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करेगा, जिससे बेहतर पहुंच और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। डॉ. शर्मा ने न्यायिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में राज्य की प्रगति को रेखांकित किया, बारपेटा, शिवसागर और बोकाखात में पूरी हो चुकी परियोजनाओं के साथ-साथ दीफू, धुबड़ी, ग्वालपाड़ा और तिनसुकिया में आने वाले आधुनिक न्यायालय परिसरों का उल्लेख किया।

उन्होंने न्यायिक प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने के लिए चल रहे प्रयासों पर भी जोर दिया, जिसमें ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई और कागज रहित अदालतों की ओर बढ़ना शामिल है। उन्होंने बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में तेजी लाने के लिए नागांव में अतिरिक्त अदालतों के साथ 17 जिलों में विशेष POCSO अदालतों की स्थापना की भी सराहना की। मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने औपनिवेशिक युग के कानूनों को भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम जैसे प्रगतिशील कानूनों से बदलने की भी सराहना की। उन्होंने 81,000 से अधिक छोटे मामलों को वापस लेकर और मजबूत गवाह सुरक्षा तंत्र लागू करके अदालतों में भीड़भाड़ कम करने के सरकारी उपायों पर भी प्रकाश डाला।

डॉ. शर्मा ने जोर देकर कहा, उनके प्रयासों का उद्देश्य देरी को कम करना, न्याय को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक एक न्यायसंगत कानूनी प्रणाली तक पहुँच सके। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति अपनी शून्य-सहिष्णुता की नीति को दोहराया। बोरोसा मोबाइल ऐप और ई-सेवा केंद्र जैसे उपायों की रूपरेखा तैयार की, जो संकट में महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करते हैं। उन्होंने गुवाहाटी में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की भी प्रशंसा की, जो वैज्ञानिक जांच और कानूनी शिक्षा को बढ़ावा देगा। डॉ. शर्मा ने सभी हितधारकों से समय पर न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देने का आग्रह करते हुए कहा, न्याय में देरी न्याय से वंचित करने के समान है। एक न्यायपालिका जो दक्षता और निष्पक्षता के साथ काम करती है, वह जनता के विश्वास की आधारशिला है।

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