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मंत्री किरमेन शेला ने असम के उन आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कहा गया है कि मेघालय में वनों की कटाई और निर्माण ने गुवाहाटी में हाल ही में कृत्रिम आई बाढ़ को और बढ़ा दिया है। शेला ने कहा कि असम को उंगली उठाने के बजाय अपने शहरी जल निकासी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने तथ्य-आधारित संवाद की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, उन्हें ( असम ) समाधान खोजना होगा।
आगे बाढ़ से बचने के लिए उचित जल निकासी का निर्माण करना होगा। जब तक ऐसा नहीं किया जाता, तब तक मेघालय को दोष देने का कोई मतलब नहीं है। असम के लिए मेघालय को दोष देना असामान्य नहीं है। असम मुख्यमंत्री ने पिछले साल पेड़ों को काटकर और पहाड़ियों को समतल करके गुवाहाटी में बाढ़ लाने के लिए यूएसटीएम पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे। गुवाहाटी ब्रह्मपुत्र नद के किनारे पर स्थित है।
पिछले कुछ वर्षों में शहर के तेजी से विस्तार के कारण गुवाहाटी में बाढ़ का खतरा बना रहता है। बढ़ती आबादी और अनियमित विनियमन ने गुवाहाटी की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। शेला ने कहा कि मेघालय को इस मुद्दे पर असम से कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है और उन्होंने दोहराया कि गुवाहाटी में बाढ़ बार-बार आने वाली शहरी चुनौती है जिसके लिए राज्य में बेहतर तैयारी की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, दोष देना आसान है, लेकिन ऐसे दावों के पीछे सबूत होने चाहिए। अगर सर्वेक्षणों से पता चलता है कि हमने योगदान दिया है, तो हम बातचीत और सुधारात्मक कदमों के लिए तैयार हैं। एक उदाहरण देते हुए मंत्री ने कहा, अगर आप तेज गति के कारण दुर्घटना का शिकार होते हैं, तो आप सड़क को दोष नहीं दे सकते। आपको सावधानी से गाड़ी चलानी होगी और जिम्मेदारी लेनी होगी।