- 35 साल या उससे अधिक पुराने लगभग 8000 निजी वाहनों को भी हटाया जाएगा
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने गुरुवार को घोषणा की कि राज्य मंत्रिमंडल ने एक नई वाहन स्क्रैपेज नीति (वीएसपी), 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य प्रदूषण को कम करना, ईंधन आयात को कम करना और कच्चे माल की रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना है।
सरकार नीति कार्यान्वयन के शुरुआती चरण में राज्य भर में लगभग 13,000 वाहनों को सड़कों से हटाएगी। मालूम कोनराड मंत्रिमंडल की आज महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें इस मुद्दे पर गहन चर्चा बाद मंजूरी दी गई। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने मेघालय वाहन स्क्रैपेज नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि नीति का उद्देश्य राज्य की सड़कों से अनुपयुक्त और प्रदूषणकारी वाहनों को हटाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है और पुराने और अक्षम वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करके पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करना है।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार सबसे पहले 15 साल या उससे अधिक पुराने लगभग 5,000 सरकारी वाहनों को स्क्रैप करके सड़कों से हटाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति के अनुसार, प्राधिकरण 35 साल या उससे अधिक पुराने लगभग 8,000 निजी स्वामित्व वाले वाहनों को स्क्रैप करेगा। शिलोंग में वर्तमान में लगभग 2,76,262 पंजीकृत वाहन हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में कुछ मुद्दों पर चर्चा की गई। निम्नलिखित मुद्दों को मंजूरी दी गई। माध्यमिक विद्यालयों को उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अपग्रेड करने और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नई स्ट्रीम जोड़ने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। राज्य में वर्तमान में कक्षा 11 की 51,067 सीटें हैं, जिनमें से अधिकांश शहरी क्षेत्रों और खासी-जयंतिया पहाड़ियों में केंद्रित हैं, जिससे 12,000 सीटों की कमी रह गई है। इस कमी को पूरा करने के लिए, कैबिनेट ने 6 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों को उच्चतर माध्यमिक में अपग्रेड करने, 9,000 सीटें जोड़ने और 11 सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नई स्ट्रीम शुरू करने को मंजूरी दी है।
इसके अलावा मेघालय आयुष चिकित्सा सेवा नियम, 2025 को भी मंजूरी दी गई। आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों ने लंबे समय से मेघालय में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा का समर्थन किया है और अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों के तहत नए सिरे से ध्यान आकर्षित कर रही हैं।