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श्रमिक नेता तथा पूर्व विधायक राजदीप ग्वाला ने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा को पत्र लिखकर असम चाय निगम लिमिटेड ( एटीसीएल ) के अध्यक्ष पद से मुक्त करने की अपील की है। ग्वाला बराक चाय श्रमिक यूनियन के महासचिव भी है। पत्र में इसका उल्लेख करते हुए कहा है कि उन्हें लगता है कि एटीसीएल के अध्यक्ष के रूप में बने रहना उनके लिए उचित नहीं है। वह एटीसीएल के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री के निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार ने एटीसीएल के श्रमिकों और कर्मचारियों के भविष्य निधि, ग्रेच्युटी आदि के भुगतान के लिए उनके कार्यकाल के दौरान 300 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए। इस अवधि के दौरान असम सरकार ने एटीसीएल के श्रमिकों को 20 प्रतिशत बोनस भी दिया, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि निगम को भारी घाटा हो रहा है। एटीसीएल के श्रमिकों और कर्मचारियों की कुछ ज्वलंत समस्याएं और वास्तविक मांगें भी मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया और यथाशीघ्र हल किया जाना चाहिए यह आशा व्यक्त की।
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एटीसीएल के श्रमिकों में इस बात को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है कि यह असम सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अधिसूचना के अनुसार बढ़ी हुई दैनिक मजदूरी को लागू नहीं कर पाया है, जो वर्तमान में ब्रह्मपुत्र घाटी में 250 रुपये और बराक घाटी में 228 रुपये है और साथ ही बकाया मजदूरी भी है। इस संबंध में वह अनुरोध किया कि इसे लागू करने के लिए एटीसीएल को आवश्यक धनराशि प्रदान करें। वह आगे दोहराना चाहते हैं कि ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी में श्रमिकों को एक समान मजदूरी देने की मांग लंबे समय से चल रही है।
इसलिए, उनका विनम्र अनुरोध है कि यदि आप अनुमति दें, तो एटीसीएल ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी दोनों में एक समान मजदूरी देकर एक उदाहरण स्थापित कर सकता है, जो चाय उद्योग में एक मिसाल कायम करेगा। ग्वाला ने पत्र में आगे मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि एटीसीएल को असम सरकार से पर्याप्त वित्तीय अनुदान दिए जाए, जो एटीसीएल के श्रमिकों व कर्मचारियों के उपरोक्त मुद्दों के समय पर और शीघ्र समाधान के लिए आवश्यक पहल कर सके। क्योंकि इससे एटीसीएल के श्रमिकों और कर्मचारियों तथा पूरे चाय उद्योग में एक बहुत ही सकारात्मक संदेश जाएगा।
वहीं उक्त संवाददाता के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि बराक चाय श्रमिक यूनियन श्रमिकों के हित में काम कर रहा है। चाय बागानों में विविध समस्याएं है। जब भी ज़रूरत पड़ा यूनियन चाय उद्योग मालिक पक्ष और श्रम आयुक्त कार्यालय के साथ संवाद स्थापित कर श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम किया है।