Monday, December 23, 2024

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय में एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन, मुख्य वक्ता विकास कुमार उपाध्याय ने हिंदी के विकास और सरकारी कार्यों में इसके उपयोग की रणनीतियों पर विस्तृत प्रकाश डाला

आयोजित हिंदी कार्यशाला में विभिन्न वक्ताओं ने रखा वक्तव्य।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (क्षेत्रसांकर्य प्रभाग) के उप क्षेत्रीय कार्यालय, सिलचर में एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य राजभाषा हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना और सरकारी कार्यों में इसके उपयोग को प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यालय के उप सहायक निदेशक राकेश सोरेन द्वारा दीप प्रज्वलन और स्वागत भाषण से हुआ।

अपने उद्घाटन भाषण में सोरेन ने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत और एकता का प्रतीक है। उन्होंने सरकारी कार्यालयों में हिंदी के अधिकतम प्रयोग को सुनिश्चित करने का आह्वान किया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता विकास कुमार उपाध्याय, जो वर्तमान में जवाहर नवोदय विद्यालय, पैलापुल, कछार में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, ने हिंदी के विकास और सरकारी कार्यों में इसके उपयोग की रणनीतियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों को हिंदी में सरकारी पत्राचार और दस्तावेज तैयार करने के व्यावहारिक उपायों से परिचित कराया। उ

पाध्याय ने अपने संबोधन में कहा, “हिंदी न केवल हमारी पहचान है, बल्कि यह सरकारी कामकाज में सहजता और प्रभावशीलता लाने का भी माध्यम है।” कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों ने विभिन्न सत्रों में हिंदी भाषा के व्यावहारिक उपयोग, तकनीकी शब्दावली के समुचित प्रयोग, और अनुवाद की बारीकियों पर गहन चर्चा की। प्रतिभागियों ने हिंदी में फाइल प्रबंधन, रिपोर्ट लेखन, और अन्य प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रतिभागियों ने कार्यशाला के अनुभव साझा किए और हिंदी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। कार्यालय के अधिकारियों ने कार्यशाला की सफलता के लिए आयोजकों और मुख्य वक्ता का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नेहा शर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी दीपक सिंह ने प्रस्तुत किया।

कार्यशाला में क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, और अन्य अतिथि उपस्थित थे। इस तरह की कार्यशालाएं न केवल हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में सहायक होती हैं, बल्कि सरकारी कामकाज में इसकी प्रभावशीलता को भी बढ़ाती हैं। प्रतिभागियों ने ऐसे आयोजन को नियमित रूप से आयोजित करने का आग्रह किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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