गिरफ्तार व्यक्ति की तस्वीर।
सिलचर में एक कोर्ट कर्मचारी नाहरुल इस्लाम चौधरी को वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उसपर आरोप है कि उसने कथित तौर पर ड्रग तस्करी के एक मामले में बरी करवाने के लिए 3 लाख रुपये लिए थे। लखीपुर सब-डिविजनल न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रोसेस सर्वर के तौर पर काम करने वाले चौधरी ने अपना वादा पूरा नहीं किया और 2.4 लाख रुपये के रिफंड के रूप में बाउंस चेक जारी कर दिए। नाहरुल पहले जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कछार, सिलचर की अदालत में इसी पद पर कार्यरत थे।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की गई एफआईआर के बाद, पुलिस ने उसके परिवार के विरोध के बावजूद उसे मधुरबंद स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। उसे सिलचर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया और आगे की कार्यवाही के लिए उसे गुवाहाटी भेजने के लिए तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड मंजूर की गई। फिलहाल चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यक्ति से यह कहकर तीन लाख रुपये लिये थे कि वह मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में आरोपियों की रिहाई की व्यवस्था करेंगे।
शिकायतकर्ता मजूमदार नाम का शख्स है, जो कचुधरम थाना क्षेत्र के बद्रीराम का रहने वाला है। शिकायत के अनुसार, चौधरी मामले से बरी दिलाने के वादे कर पैसे तो ले लिया पर काम सफल नहीं हुआ। इसके बाद मजूमदार रैंक के व्यक्ति ने उससे पैसे वापस करने को कहा, कुछ देर बहस करने के बाद उसने कुल 2 लाख 40 हजार रुपये के दो चेक दिया, लेकिन बैंक में जमा करने के बाद दोनों चेक बाउंस हो गए। चौधरी ने जिस खाते का चेक जारी किया था, उसमें उतने पैसे नहीं थे. तो दो चेक बाउंस हो गए।
इस तरह से धोखा खाने के बाद जब मजूमदार ने शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम’ के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। इसके बाद गत गुरुवार को उसे मधुरबंद गंगापार स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर लिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार रात जब पुलिस उसे पकड़ने गई तो वह छिप गया। उसके परिवार के कुछ सदस्यों ने पुलिस को गुमराह करने की भी कोशिश की कि वह घर पर नहीं है। हालांकि आख़िर में उनके लिए पुलिस से बचना संभव नहीं हो सका. पुलिस उसे ट्रैक करने में कामयाब रही।