आजादी के इतने वर्षों के बाद भी कई ऐसे गांव, क्षेत्र हैं, जहां विकास को खोजना पड़ता है। असम के कछार जिले के बड़खोला विधानसभा क्षेत्र में स्थित भोलेनाथपुर गांव की कुछ ऐसी ही कहानी है। छोटा दूधपातील और हातिछरा गांव पंचायत के बीच भोलेनाथपुर गांव पड़ता है। यहां के ज्यादातर लोगों की आजीविका मछली पकड़ने पर निर्भर हैं। चूंकि साल में अधिक समय पूरा गांव बारिश के पानी में डूबा रहता है, इसलिए स्थानीय लोगों को विभिन्न समस्याओं से दो चार होना पड़ता है।
एक पक्की सड़क तक उपलब्ध नहीं है। गांव और यहां के, विशेषकर स्कूली छात्रों को बहुत परेशानी होती है। आजादी के 78 वर्ष बाद भी यह गांव विकास से अछूता है। वर्षाकाल में पूरा क्षेत्र एक नदी का आकार ले लेता है। परिणामस्वरूप, स्थानीय लोगों को नाव पर विभिन्न दैनिक कार्य करने पड़ते हैं। शुक्रवार को क्षेत्र के लोगों से उक्त संवाददाता ने जब बात की, तो उनका दर्द सामने आ गया।
गांव वालों ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा कि उनके इलाके का जनप्रतिनिधि स्थानीय समस्याओं से अनभिज्ञ है। उन्होंने बताया कि जिले में बाढ़ नहीं है, निचला इलाका होने के नाते उनका गांव अभी भी जलमग्न है। नतीजतन कई ऐसे जगह है, जहां बांस के सहारे पार करना होता है। स्कूली बच्चे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते। छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुआ है।
अभिभावकों को अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य की चिंता सता रही है। हालांकि गांव में एक पुल है, लेकिन वह भी अर्धनिर्मित है। आने – जाने में विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा। गांव वालों ने जानकारी दी कि इस मुद्दे पर जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक मिस्बाहुल इस्लाम लस्कर से कई बार बात किया है, ज्ञापन भी दिया है, परंतु ‘विकास’ को देखने की इंतज़ार में उनकी आँखे तरस गई है।
हालांकि वर्तमान सरकार सड़कों के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, लेकिन बड़खोला का भोलानाथपुर गांव की जनता की नसीब में अबतक सड़क,पुल नहीं लिखा है। न ही पीने के लिए शुद्ध जल की व्यवस्था है। उन्होंने सरकार से उनके गांव के विकास के लिए हर संभव कदम उठाने की अपील की। वर्तमान विधायक पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने अर्धनिर्मित पुल के कार्य को पूरा करने के साथ पक्की सड़क की मांग की। वे मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा से उनकी समस्याओं को दूर करने की अपील की।
चंद्रशेखर ग्वाला