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शिलोंग। तीसरा आसियान-भारत कलाकार शिविर (एआईएसी) शिलोंग में त्रिपुरा कैस्टल में एक प्रदर्शनी के साथ समाप्त हुआ, जहाँ आसियान सदस्य देशों, तिमोर-लेस्ते और भारत के 21 कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स प्रदर्शित की गईं। केंद्रीय विदेश और कपड़ा राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा हिस्सा लिए।
इसके अलावा मेघालय के पर्यटन मंत्री पॉल लिंगदोह, राज्य के महासचिव डीपी वाहलांग सहित सेहर के संस्थापक-निदेशक संजीव भार्गव उपस्थित थे। मालूम हो कि दस दिनों तक चले इस शिविर में इन कलाकारों ने शिलांग के प्राकृतिक दृश्यों, सांस्कृतिक मेलजोल और कलात्मक आदान-प्रदान से प्रेरणा लेकर सहयोगात्मक कार्य किया।
यह आयोजन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा सेहर के सहयोग से आयोजित किया गया था और यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत एक प्रमुख पहल है। इस तरह के आयोजनों के महत्व पर बोलते हुए, विदेश और कपड़ा राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा ने कहा, “यह शिविर भारत और आसियान देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक और कलात्मक संबंधों को दर्शाता है। कला में वास्तविक शक्ति है, यह लोगों को जोड़ती है।
इस प्रयास के माध्यम से हम उन रिश्तों को मजबूत कर रहे हैं जो मायने रखते हैं और अपने देशों को करीब लाने के लिए एक आधार तैयार कर रहे हैं।” शिविर की सफलता पर विचार व्यक्त करते हुए, सेहर के संस्थापक-निदेशक संजीव भार्गव ने कहा, “इस शिविर को शुरू करने का सपना मेरा था, और मैंने इसे एक असाधारण रूप में विकसित होते देखा है।
दस दिनों तक मैंने इन कलाकारों को सीमाओं के पार शिलांग की संस्कृति में डूबते, एक-दूसरे के विचारों को चुनौती देते और ऐसी कृतियाँ बनाते देखा जो जीवन से भरपूर हैं।” शिविर के समापन के साथ, शिलांग में प्रदर्शित कलाकृतियाँ अब नई दिल्ली और मलेशिया में प्रदर्शित की जाएँगी, जिससे यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान सीमाओं से परे और विस्तारित होगा। कलाकार अपने देशों में नए दृष्टिकोण, अनुभव और यादों के साथ लौट रहे हैं, जो कला के माध्यम से आसियान देशों के साथ भारत के जुड़ाव को और मजबूत करते हैं।