प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलती पुलिस।
शनिवार की सुबह असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से मणिपुर के जिरीबाम जिले के निवासियों के शवों, जो 11 नवंबर को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे, को हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर, मणिपुर ले जाया गया। असम पुलिस और मणिपुर पुलिस शव को असम राइफल ले गई, वहां से एयरलिफ्ट किया गया। शवों को ले जाते वक्त मार – कुकी समुदाय से बड़ी संख्या में जुटे लोगों को कंधा देने का अवसर दिया गया। ट्रेडिशनल अंग वस्त्र ओढ़ाकर वे लोग शव को वाहन में रखने में पुलिस का सहयोग किया। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, शवों को 12 नवंबर को एसएमसीएच लाया गया और अगले दो दिनों में पोस्टमार्टम किया गया।
लाठीचार्ज और पत्थरबाजी समय की वीडियो
हालांकि, जिरीबाम ( मणिपुर ) और असम के करीब 400 स्थानीय लोग 12 नवंबर से मेडिकल कॉलेज़ में डेरा डाले हुए थे, उन्होंने पुलिस को शव लेने से रोक दिया। शव को उन्हें सौंपने की मांग पर अड़े थे। मृतकों के परिवार यहां नहीं आ सकते, इसलिए उन्हें सौंपने की मांग कर रहे थे । ह्मार और कुकी समुदाय के बड़ी संख्या युवा यहां एकत्रित हुए थे। इसके पूर्व सुबह करीब 10 बजे, असम के कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अतिरिक्त बलों के साथ एसएमसीएच पहुंचे और शवों को मुर्दाघर से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई। राज्य के आईजीपी ( कानून – व्यवस्था ) प्रशांत भुइयां पहुंचे हुए थे। इसके अलावा कछार के पुलिस अधीक्षक नुमाल महत्ता, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुब्रत सेन, सदर प्रभारी अमृत सिंह मौके पर थे। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मुर्दाघर के सामने धरना दिया और पुलिस को अंदर जाने से रोक दिया। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि शव यहीं उन्हें सौंपे जाएं, लेकिन पुलिस और अन्य सरकारी अधिकारियों ने कहा कि शव मणिपुर के चुराचांदपुर में सौंपे जाएंगे।
पुलिस के साथ धक्का मुक्की करते प्रदर्शनकारी
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम पिछले पांच दिनों से यहां इंतजार कर रहे हैं, हम शवों को एयरलिफ्ट नहीं होने देंगे। कृपया उन्हें यहां सौंप दें, हम चले जाएंगे। मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन करीब एक घंटे की चर्चा के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने भी पीछे धकेला और कुछ पुलिस अधिकारी जमीन पर गिर गए, जिसके बाद अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया। इससे भारी अफरातफरी मच गई और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इससे पुलिस को पीछे हटना पड़ा। इसके बाद असम के पुलिस महानिरीक्षक (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार भुइयां और कछार के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नुमाल महत्ता ने प्रदर्शनकारियों से बात की और उन्हें सहयोग करने के लिए 15 मिनट का समय दिया।
पुलिस अधीक्षक महत्ता ने कहा, “यह मणिपुर नहीं है, यह असम है और हम इस तरह की हिंसा की अनुमति नहीं देंगे। शव मणिपुर से आए हैं और उन्हें मणिपुर के चुराचांदपुर भेजना उनका कर्तव्य है। यदि आप अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते हैं, तो आप वहां जा सकते हैं। मालूम हो कि गत 11 नवंबर को सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ के दौरान जिरीबाम के दस निवासी मारे गए थे। उन्हें कथित कुकी उग्रवादी बताया जा रहा है। एसएमसीएच अधिकारियों के अनुसार, शवों को 12 नवंबर को पोस्टमार्टम के लिए यहां लाया गया था। प्रक्रिया में कथित देरी के बाद बुधवार शाम को विरोध शुरू हुआ और प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक फोरेंसिक मेडिसिन विभाग को अवरुद्ध कर दिया।
गत गुरुवार को पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी हो गई, लेकिन मार – कुकी समुदाय के संगठनों ने शवों को प्राप्त करने का इंतजार कर रहे थे, जब अधिकारियों ने कहा कि उच्च अधिकारियों ने डीएनए परीक्षण के आदेश दिए हैं। हालांकि, शनिवार को शवों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हुई और अधिकारियों ने पुष्टि नहीं की है कि डीएनए परीक्षण किए गए थे या नहीं। ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने घोषणा की कि वे चाहते हैं कि शवों को सड़क मार्ग से मणिपुर के लामका ले जाया जाए और वहां अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
जबकि असम पुलिस के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि उन्हें शवों को उनके राज्य में ले जाने के लिए मणिपुर पुलिस की सहायता करने के आदेश हैं। एसएमसीएच में प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए पथराव में चार पत्रकार घायल हो गए और उनमें से कुछ का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस बीच असम-मणिपुर सीमा के पास शुक्रवार को तीन लोगों के शव मिले, जिनमें एक महिला और दो बच्चे शामिल हैं। माना जा रहा है कि ये छह अपहृत जिरीबाम निवासियों में से हैं। शाम को इन्हें एसएमसीएच ले जाया गया। सूत्रों के अनुसार, शनिवार को तीन और शव मिले हैं और इन्हें एसएमसीएच लाए जाने की संभावना है।