Thursday, January 2, 2025

सिलचर मेडिकल कॉलेज से कड़ी सुरक्षा के बीच जिरीबाम के नौ और निवासियों के शव वापस भेजे गए

शवों के ले जाते उनके परिजन।

इस महीने के 11 से 17 नवंबर के बीच मारे गए जिरीबाम के नौ निवासियों के शव शुक्रवार सुबह असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एसएमसीएच) में उनके परिजनों को सौंप दिए गए। इसके बाद शवों को कड़ी सुरक्षा के बीच मणिपुर के जिरीबाम ले जाया गया। इन नौ लोगों में एक परिवार के छह सदस्य शामिल हैं, जिन्हें 11 नवंबर को जिरीबाम के जौक्राडोर से अगवा किया गया था। बाद में असम-मणिपुर सीमा के पास बराक नदी में तीन महिलाओं, दो बच्चों और एक 8 महीने के शिशु के शव तैरते हुए पाए गए।

परिवार के सदस्यों के अनुसार, 11 नवंबर को एक अन्य हमले में जिरीबाम के बोरोबेक्रा में दो वरिष्ठ नागरिकों की मौत हो गई और उनमें से एक को जिंदा जला दिया गया। 17 नवंबर को जिरीबाम में पुलिस की गोलीबारी में एक 21 वर्षीय युवक की मौत हो गई। सभी नौ शवों को पोस्टमार्टम के लिए एसएमसीएच भेज दिया गया। युरेम्बम रानी देवी (65), तेलेम थोइबी देबी (31), लैसराम हेतोम्बी देवी (25), तेलेम थजमनबी देवी (8), लैसराम चिंगखेइगनबा सिंह (2.5) और लैसराम लंगंबा सिंह (8 महीने), मैबांग केशो मैतेई (71), लैसराम बारेन मेतेई (63) और खुंद्रकपम अथौबा (21) के शव शुक्रवार को उनके परिजनों को सौंप दिए गए।

पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद अधिकारियों ने परिजनों से शव लेने को कहा। हालांकि परिजनों ने न्याय की मांग करते हुए शव लेने से इनकार कर दिया था। लेकिन शुक्रवार को उन्होंने कहा कि चूंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मामले की जांच कर रही है, इसलिए वे शव ले रहे हैं। मैबांग केशो मैतेई के बेटे मैबाम लैजिंगंबा ने कहा, हम चाहते है कि कुकी हमलावरों को उग्रवादी घोषित किया जाए और सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। अब चूंकि एनआईए जांच कर रही है, इसलिए हम आश्वस्त हैं। उनके अनुसार, 11 नवंबर को हथियारबंद बदमाशों ने उनके पिता को गोली मारकर जिंदा जला दिया था। उन्होंने कहा, उन्होंने हमारा घर भी जला दिया। अब पूरा परिवार जिरीबाम में एक आश्रय शिविर में रह रहा है, जो हमारे गांव से करीब 27 किलोमीटर दूर है। हम प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं, ताकि हम घर जा सकें।” शवों को स्वीकार करने के बाद, परिवार के सदस्यों ने एसएमसीएच में कुछ अनुष्ठान किए और काफिला कछार के लखीपुर की ओर बढ़ गया।

मैतेई समुदाय के लोग अपने समुदाय के मृतक सदस्यों को पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर एकत्र हुए। एक अन्य मृतक के परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे चाहते हैं कि हमलावरों को उग्रवादी माना जाए। उन्होंने कहा कि वे एक गांव की रक्षा पार्टी थे, लेकिन बाद में पता चला कि वे चुड़ाचांदपुर के निवासी थे। वे उस दिन हथियारों के साथ जिरीबाम में क्या कर रहे थे? सच्चाई यह है कि वे उग्रवादी थे और उन्हें विश्वास है कि एनआईए सच्चाई का पता लगाएगी। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इन नौ शवों के साथ ही गत 12 से 18 नवंबर के बीच एसएमसीएच में 12 अन्य शव भी लाए गए थे।

11 नवंबर को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ मुठभेड़ में मारे गए जिरीबाम के 10 निवासियों के शव 12 नवंबर को असम अस्पताल लाए गए थे और 16 नवंबर को उन्हें हवाई मार्ग से चुड़ाचांदपुर ले जाया गया था। हालांकि, जिरीबाम और असम के ग्रामीणों के विरोध के कारण एसएमसीएच में स्थिति तनावपूर्ण हो गई। 16 नवंबर को प्रदर्शनकारियों ने एक जगह पुलिस पर पथराव किया। बाद में कछार जिले के पुलिस अधीक्षक नुमाल महत्ता और अन्य अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया और शवों को बाहर निकाला गया। इसके बाद असम पुलिस ने मणिपुर सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी और अतिरिक्त बल तैनात किए गए। पुलिस ने बराक नदी पर मणिपुर से अनधिकृत नाव सेवाओं को भी रद्द कर दिया।

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