Monday, December 23, 2024

हिंदी दिवस : हिंदी स्वतंत्रता संग्राम की भाषा है, हिंदी का विकास ही संघर्षों से हुआ है

लेखक की कलम से ……

हिंदी स्वतंत्रता संग्राम की भाषा है। हिंदी का विकास ही संघर्षों से हुआ है। हिंदी राष्ट्रभाषा है या राजभाषा, इस पर हमेशा विवाद चलता रहता है।

आज हिंदी दिवस है। दिवस वैसे कमजोर लोगो का मनाया जाता है। जैसे गौरैया दिवस, महिला दिवस, मजदूर दिवस। पर आजकल सबका दिवस मनाया जाने लगा। हिंदी स्वतंत्रता संग्राम की भाषा है। हिंदी का विकास ही संघर्षों से हुआ है। हिंदी राष्ट्रभाषा है कि राजभाषा। इस पर हमेशा विवाद चलता रहता है।

राष्ट्रभाषा देश में बोली जाने वाली सब भाषाएं राष्ट्रभाषा है, जबकि राजकाज या प्रशासनिक कार्य की भाषा को राजभाषा कहा गया है। हिंदी वैसे खुद फारसी भाषा का शब्द है। फारस के लोग जब 13-14वी शताब्दी में भारत में व्यापार के लिए सिंधु नदी को पार करते हुए आते थे, तो वे स का उच्चारण नहीं कर पाने के चलते सिंधु को हिंदू और यहां के निवासियों को हिंदू सप्ताह को हफ्ता और मास को माह बोलते थे, कुछ उसी तरह जैसे अंग्रेज  त ध्वनि का उच्चारण नहीं कर पाने के चलते तोता को टोटा बोलते हैं।

हिंदी कभी राजभाषा नहीं रही। प्राचीन काल में संस्कृत राजभाषा थी, मध्य काल में फारसी राजभाषा रही और आज संविधान में भले जगह मिली हो, पर आज भी अंग्रेजी ही राजभाषा है। हिंदी भाषा का विपुल साहित्य और संस्कृति होते हुए भी राजरानी नहीं है। आज हिंदी में पॉलिटिक्स तो कर सकते हैं, पर पॉलिटिकल साइंस नहीं पढ़ा सकते। जिस भाषा को लेकर अमीर खुसरो कहता है कि मैं हिंदुस्तान की तूती हूं, अगर मुझसे बात करना है तो हिंदवी में बात करो। आज हिंदी ही नहीं, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं की बुरी दशा है।

तमिल भाषा संस्कृत के समय की भाषा है। विश्व की सबसे बोली जाने वाली 20 भाषाओं में भारत की 6 भाषाएं आती है। आज भले भारतीय भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है,पर उससे इन भाषाओं का कल्याण कुछ भी नहीं हो रहा है। एक समय हिंदी ज्ञान विज्ञान दोनो की भाषा थी, पर आज हिंदी सिर्फ़ ज्ञान की भाषा बनकर रह गई है, अगर मैं गलत हूं तो विज्ञान की कोई पांच पुस्तकों और उनके लेखकों का नाम बताएं जिन्होंने हिंदी में बहुत अच्छी किताब लिखी हो।

ऐसी भी बात नहीं कि अच्छी किताबे नहीं लिखी गई, बल्कि प्रायोजित ढंग से उन किताबों को लाइब्रेरी और बुक की दुकानों से हटा दिया गया और हमे पता भी नहीं चला। आज अंग्रेजी का बोलबाला हर जगह है। मैं अंग्रेजी का विरोधी नहीं हूं, क्योंकि भाषाओं का विकास ही आपसी मेलजोल से हुआ है। भाषाएं हमेशा पुल यानी ब्रिज का काम करती है, वह बैरियर नहीं होती। बैरियर पॉलिटिकल पार्टी होती है, जो अपने चंद वोटों के लिए जनता में नफरत पैदा करती है।

हिंदी में संस्कृत, अरबी फारसी तमाम भाषाओं के शब्द घुले मिले हैं, आज वे हमारे जीवन के अंग है। वैसे भी हिंदी का हाजमा बहुत दुरुस्त है। लेकिन आजकल हिंदी को दुरूह बनाने में भारतीय सबसे आगे हैं। किसी भी भाषण या फिल्म में अंग्रेजी के वैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है, जो साधारण जनता में प्रचलित नहीं है। फिर भी आज खुशी के मौके पर हम हिंदी को दिन दुखियों की भाषा नहीं कह सकते।

इसका साहित्य विपुल है, विश्व में सबसे ज्यादा फिल्में हिंदी में बनती है, सबसे ज्यादा पत्र पत्रिका हिंदी में है। अगर आज कोई विदेशी भारत को जानना चाहता है तो उसे हिंदी का सहारा लेना पड़ता है। आज करीब 40 करोड़ जनता द्वारा हिंदी बोली जाती है, करीब 60 करोड़ जनता हिंदी जानती है भले बोल नहीं पाती। आज हिंदी भारत के साथ साथ नेपाल, पाकिस्तान,बांग्लादेश में भी बोली जाती है। भारत से गिरिमिटिया मजदूर बनकर गए लोगों की मातृभाषा भी हिंदी ही है। उस तरह से देखा जाए तो हिंदी त्रिनिदाद, टोबैको, गुयाना, मॉरीशस, फिजी आदि देशों में बोली जाती है। इस तरह हिंदी आज अंतरराष्ट्रीय भाषा बन गई है।

आलोक सिंह

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