मेघालय में आगामी 2 अक्टूबर को प्रस्तावित ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ को लेकर बवाल मचा हुआ है। विपक्षी वॉयस पीपुल्स पार्टी (वीपीपी) ने राज्य सरकार से 2 अक्टूबर को प्रस्तावित गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के लिए अनुमति न देने की अपील है।
राज्य के मंत्री रक्कम ए संगमा से एक गौरक्षक समूह द्वारा रैली आयोजित करने की योजना के बारे में कहा कि ज्योतिर्मठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रतिनिधि गाय को “राष्ट्रमाता” घोषित करना चाहते हैं और अपने उद्देश्यों को प्रचारित करने के लिए वे पूर्वोत्तर का दौरा कर रहे हैं।
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मंत्री संगमा ने 2 अक्टूबर को आयोजित होने वाले गौरक्षा यात्रा पर प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए कहा कि समूह को स्वयं यहां के लोगों की भावनाओं का ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित अपनी यात्रा को स्थगित कर देना चाहिए। हिंदू संगठन को यह समझना होगा कि उनकी इस योजना को मेघालय के लोगों का समर्थन नहीं है।
हालांकि मंत्री संगमा ने यह भी कहा कि “इन लोगों को चरमपंथी माना जाना चाहिए। वे हिन्दू कहलाने के लायक नहीं हैं। उन्हें उनकी पसंद का खाना खाने से कोई नहीं रोक सकता। बीफ उनका पसंदीदा व्यंजन है और बीफ खाने को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
मंत्री संगमा ने यह भी कहा कि समूह के सदस्यों को संविधान पढ़ना चाहिए, इसकी विविधता को समझना चाहिए और किसी भी धर्म को मानने और उसका पालन करने का अधिकार होना चाहिए। गाय की हत्या से कुछ समुदायों की भावनाएं आहत हो सकती हैं और गाय को न मारना भी आदिवासी समुदाय की भावनाओं को आहत करता है। गोमांस खाना उनकी संस्कृति और पर्व का हिस्सा है। इसलिए, किसी को भी कोई प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। “वे लोग भारतीय होने के लायक नहीं हैं, जो इस तरह का ड्रामा करते हैं।
विपक्ष वीपीपी भी भड़का हुआ है। मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को लिखे पत्र में वीपीपी महासचिव और शिलोंग के सांसद डॉ. रिकी ए जे सिंगकोन ने कहा, जबकि हम अपने संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांत का पूर्ण समर्थन करते हैं। उसे कायम रखते हैं, हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि इस तरह के आयोजन से उनके राज्य के सांप्रदायिक सद्भाव पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। उन्हें चिंता है कि यह प्रस्तावित यात्रा विभाजन का कारण बन सकती है और मेघालय में समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बाधित कर सकती है। उनके राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान किया जाना चाहिए।
योगेश दुबे