Monday, December 23, 2024

बीएसएफ के मिजोरम – कछार और मेघालय फ्रंटियर ने मनाया बावा दिवस

 

पूर्वोत्तर राज्य में बीएसएफ के दो प्रमुख मेघालय और मिजोरम – कछार फ्रंटियर ने वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (बावा) दिवस मनाया। विभिन्न कार्यक्रम किए गए और सेवानिवृत्त बीएसएफ सदस्यों और उनके परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के प्राथमिक उद्देश्यों पर और तेजी काम करने पर बल दिया।

मालूम हो कि बावा दिवस सितंबर में मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है, जो बीएसएफ से जुड़े परिवारों के उत्थान और कल्याण के लिए समर्पित है। यह परिवारों के एक साथ आने, अनुभव साझा करने और विभिन्न मामलों पर चर्चा करने का अवसर होता है। यह वीरांगना (शहीदों की विधवाओं) को सहायता प्रदान करता है और उनके पुनर्वास में सहायता करता है, साथ ही आर्थिक सशक्तिकरण के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।

मिजोरम – कछार फ्रंटियर की तस्वीर 

शिलोंग, उम्पलिंग स्थित बल के मेघालय फ्रंटियर कैंपस में बावा की अध्यक्ष श्रीमती किरण सिंह की अध्यक्षता में 32वां बावा दिवस मनाया गया। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के तहत पंजीकृत सोसायटी है, जिसकी स्थापना 1992 में की गई थी। समारोह की शुरुआत बावा, शिलोंग कार्यवाहक अध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस कार्यक्रम में बावा प्रहरी संगिनियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं।

कार्यक्रम में स्थानीय बीएसएफ बटालियन, सेक्टर और फ्रंटियर मुख्यालय तैनात अधिकारी, कर्मियों के परिवारों ने भाग लिया। इस अवसर पर बावा की कार्यवाहक अध्यक्ष ने बीएसएफ कर्मियों की वीरांगनाओं को आवश्यक वस्तुएं वितरित की और बीएसएफ परिवारों की बेहतरी के लिए एसोसिएशन के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की।

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इधर मिजोरम – कछार फ्रंटियर में उपरोक्त दिवस मनाया गया। मासिमपुर में स्थित फ्रंटियर मुख्यालय में बावा की प्रमुख ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया और सभी सदस्यों की उपस्थिति में इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और बीएसएफ वीरांगनाओं ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई।

मिजोरम और कछार फ्रंटियर की प्रमुख ने सीमा सुरक्षा बल में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को सुनिश्चित करने में संगठन की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि बावा ने सीमा प्रहरियों के परिवारों के उत्थान और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मालूम हो कि संस्था अपने स्थापना काल से ही सेवारत और सेवानिवृत्त सीमा रक्षकों एवं उनके परिवारों के कल्याण को बढ़ावा देने, बीएसएफ विधवाओं के पुनर्वास, परिवारों को आर्थिक सशक्तिकरण के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने तथा उनके बच्चों को नई नौकरियों में प्रशिक्षण प्रदान करके सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से की गई थी। यह शहीदों की विधवाओं को आजीविका परामर्श, स्वास्थ्य, जीवनशैली और पुनर्वास जैसे क्षेत्रों में अवसर, प्रशिक्षण भी प्रदान करता है ताकि वे भविष्य में कठिनाइयों का सामना कर सकें।

योगेश दुबे

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