दुर्गोत्सव की तैयारियां अब अंतिम चरण में है। दुर्गा प्रतिमा विराजित करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। सभी दुर्गा पंडालों में सजावट की तैयारी अंतिम चरणों में है। असम की कछार जिले के उधारबंद इलाके में इस बार बहुत विशेष है।
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कालीबाड़ी रोड सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति द्वारा अबू धाबी के हिंदू मिलन मंदिर जबकि अस्पताल रोड सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति की और से पंडाल वृन्दावन की प्रेम मंदिर के तर्ज पर होगा। उपरोक्त दोनों समितियों ने मंडप के साथ – साथ मान दुर्गा की प्रतिमा पर विशेष ध्यान दिया गया है।
उधारबंद अस्पताल रोड सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति, पंडाल का एक दृश्य
कालीबाड़ी रोड सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का 40वां वर्ष है। प्रत्येक वर्ष कुछ विशेष करता आया है। लिहाजा हर बार लोगों की अपेक्षाएं बढ़ जाती है। सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति कालीबाड़ी रोड उधारबंद कछार, असम 40वां दुर्गा महोत्सव है। इस वर्ष का विशेष आकर्षण जयपुर राजस्थान श्री श्री मां की क्रिस्टल पत्थर की मूर्ति, श्री श्री मां के त्रिनयन की जीवंत अभिव्यक्ति हैं।
पंडाल अबू धाबी, सऊदी अरब के हिंदू मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। मंदिर का आंतरिक भाग क्रिस्टल और अन्य रत्नों से खूबसूरती से तैयार किया गया है। श्री श्री रामलला की झांकी भी रहेगी। क्रिस्टल पत्थर जयपुर, कोलकाता, दिल्ली आदि जगहों से मंगाया गया है।
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कालीबाड़ी रोड सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सत्यजीत चौधरी उर्फ़ पार्थो दा, महासचिव शशांक शेखर राय ने मीडिया का बताया कि मां के भक्तों को बहुत कुछ विशेष देखने को मिलेगा। माता रानी के त्रिनयन ऐसा बनाया गया कि जैसे मां साक्षात् देख रही हैं। लगभग 45 लाख बजट है। पंडाल के भीतर भारतीय कला संस्कृति की झलक लोग देख पाएंगे। विभिन्न कला कृतियाँ बनाई गई है। साज – सज्जा पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वहीं अस्पताल रोड सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति ने इस बार दुर्गोत्सव के लिए 40 लाख बजट है। वृन्दावन का प्रेम मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। पूजा के विशेष आकर्षण होंगे। तरह-तरह के खूबसूरत बटनों से विशाल मूर्तियां बनाई गई है। पंडाल 78 फीट चौड़ा और 78 फीट ऊंचा होगा। पंडाल के अंदर की आकर्षक थीम ‘परी भूमि’ है।
उधारबंद अस्पताल रोड सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति, पंडाल का एक दृश्य
एक बड़ा फ्लाईओवर होगा और ‘ईरान का प्रसिद्ध टावर’ होगा। संपूर्ण मंदिर आधुनिक प्रकाश सज्जा से सुसज्जित होगा। कोलकाता के जाने-माने कलाकारों का एक समूह मूर्ति समेत संपूर्ण शिल्प तैयार कर रहा है। 6 अक्टूबर, महाचतुर्थी, रविवार को शुभारंभ होगा।
समाचार संकलन व संपादित – योगेश दुबे