सनातनी ऐक्य मंच के कार्यकर्ताओं को पीछे धकेलते सुरक्षाबल
रविवार को श्रीभूमि जिले में अंतर्राष्ट्रीय भारत – बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षाबलों के सामने चुनौती भरा रहा। सनातनी ऐक्य मंच, दक्षिण असम प्रांत द्वारा आहूत ‘बांग्लादेश चालों आंदोलन’ के दौरान इतने अधिक लोग पहुंच गए सुरक्षाबलों को उन्हें नियंत्रण करने में कड़ी मसक्कत करनी पड़ी। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार और संतो की गिरफ़्तारी के खिआफ़ इस आंदोलन में बड़ी संख्या में लोग जुड़े। सुतरकांदी में जबरन बांग्लादेश के अंदर प्रवेश करना चाहा, लेकिन पुलिस और बीएसएफ जवानों ने धकेलकर पीछे किया।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को लेकर असम में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। विरोध प्रदर्शन इतना तेज हो गया कि श्रीभूमि जिले में सैकड़ों सनातनी ऐक्य मंच के कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश सीमा की ओर कूच करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस और बीएसएफ जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिससे वहां स्थिति तनावपूर्ण हो गई। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी की और बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस और बीएसएफ ने प्रदर्शनकारियों को सीमा के करीब जाने से रोका, लेकिन सभी कार्यकर्ता प्रदर्शन पर डटे रहें। इस दौरान कई जगहों पर झड़पें भी हुईं, हालांकि मामले को शांत करने के बाद स्थिति को नियंत्रण में ले लिया गया।
सनातनी ऐक्य मंच ने कहा है कि उनका यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जाते। मंच ने भारत सरकार से भी अपील की है कि वह इस मामले को बांग्लादेश सरकार के साथ उठाए और वहां रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे। बराक घाटी के तीनों जिलों से लोग इस आंदोलन से जुड़े। विहिप, बजरंग दल सहित हिंदू संगठनों, क्लबों, पूजा समितियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। सनातनी ऐक्य मंच के नेता सांतनु नायक ने मीडिया को बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार असहनीय है। हिंदू समुदाय में बहुत आक्रोश है। नायक ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, असम के राज्यपाल और संयुक्त राष्ट्र संघ को ज्ञापन भेजा गया है। विश्व समुदाय से बांग्लादेश के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ने की अपील है।
ज्ञातव्य हो कि सुतारकांदी में समग्र बराक घाटी के हिंदू संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं, खासकर साधु-संतों ने हिंदुओं की सुरक्षा के लिए इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास की बिना शर्त रिहाई की मांग को लेकर हंगामा किया। दोपहर करीब डेढ़ बजे आंदोलनकारियों ने सीमा की ओर मार्च करना शुरू किया। हालांकि, बीएसएफ और असम पुलिस ने आंदोलनकारियों को सीमा से करीब आधा किलोमीटर पहले ही रोक दिया। प्रदर्शनकारी दृढ़ रहे और प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों से झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में करने के लिए सुरक्षाबलों को हल्के लाठीचार्ज का भी सहारा लेना पड़ा।
योगेश दुबे