Monday, December 23, 2024

कछार जिले के बारीक नगर में श्री शिव महापुराण रुद्र महायज्ञ का भव्य समापन 

नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा में वृंदावन से आए राष्ट्रीय संत श्री अशोक देवाचार्य को सुनने जुटी शिव भक्तों की भीड़। 

कछार जिले के बारीक नगर में गत 6 दिसंबर से 15 दिसंबर तक श्री शिव महापुराण रुद्र महायज्ञ का विशेष आयोजन बहुत ही भव्य आयोजन के साथ शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। प्रथम दिन से गाजे-बाजे शहनाई और 1011 सौभाग्यवती माता बहनों के द्वारा भव्य शोभा यात्रा, कलश यात्रा असम के प्राचीनतम ऐतिहासिक स्थल श्री बरम बाबा मंदिर प्रांगण से निकलकर राधेश्याम विवाह भवन तक पहुंची और बड़े ही धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ नव दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा प्रारंभ हुआ।

9 दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा में वृंदावन से आए राष्ट्रीय संत श्री अशोक देवाचार्य ने प्रथम दिन देव महादेव की कथाओं का वर्णन शिवलिंग की उत्पत्ति, बिल्व पत्र का उत्पत्ति का वर्णन, ब्रह्मा विष्णु रुद्र इन तीनों देवताओं में भगवान महादेव की उत्पत्ति कहां से हुई, शिवरात्रि की पर्व कैसे मनाया जाता है, कब से मनाया जाता है यह सब वर्णन श्री शिव महापुराण के अंतर्गत प्रसंग सुनाया जिसे हजारों भक्तों ने भावपूर्वक श्रवण किया।

द्वितीय दिवस भगवान की कथा में नियम-संयम,सदाचार का वर्णन, तृतीय दिवस माता पार्वती का सती चरित्र पार्वती की तपस्या का वर्णन, भगवान महादेव ब्रह्मचारी के रूप में माता पार्वती को दर्शन देना, भगवान शिव के प्रति माता पार्वती का आगाज, श्रद्धा और समर्पण जिसके फल स्वरुप पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर के भगवान शंकर ने माता पार्वती को अपनाया और अंत में हिमाचल अपनी कन्या का विवाह देवाधिदेव महादेव के साथ संपन्न किया और सभी देवताओं में ब्रह्मा विष्णु नारद कितने भी गण है, पिशाच हैं भूत हैं प्रेत हैं अमल हैं अशुभ भेद अशुभ वेशधारी भगवान के पाणिग्रहण के कार्यक्रम में सब जाते हैं, बड़े धूमधाम से शिव पार्वती का विवाह संपन्न होता है,  कथा के दौरान तुलसी की उत्पत्ति, आंवले की उत्पत्ति और मारुति की उत्पत्ति का वर्णन वृंदावन से आए महाराज अशोक देवाचार्य ने किया। अनेक-अनेक प्रसंग त्रिपुरा और अंधकार को भगवान कार्तिक कुमार ने नष्ट किया, सब देवता लोग भगवान महादेव के आशीर्वाद से हर्षित होते हैं, यह सब बताया गया।

सप्तम-अष्टम दिवस की कथाओं में जम्मू दीप का वर्णन, भगवान श्री कृष्ण, उपमन्यु ऋषि के द्वारा भगवान शिव की महिमा और संसार की रक्षा के लिए महादेव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया यह कथा भी सुनाया गया। अंत में शिव महापुराण की कथा जो मनुष्य श्रवण करते हैं साक्षात भगवान महादेव के लोक को प्राप्त करते हैं । इस शिव महापुराण आयोजन समिति के सभापति शंकर नुनिया और उनकी पत्नी श्रीमती मीरा नुनिया मुख्य यजमान रहकर कार्यक्रम को सफल बनाया।

इस शिव महापुराण कथा महायज्ञ को शांतिपूर्ण और सफल बनाने में सहयोग किया वे लोग हैं शिव महापुराण आयोजन समिति के शंकर नोनिया, कंचन नुनीया, विजय नुनिया, महादेव नुनिया, संतोष नुनिया, रामाशीष चौहान, सुभाष चौहान, श्रवण चौहान, सुवचन ग्वाला ,प्रदीप कुर्मी , लक्ष्मण नुनिया, बाबुल ग्वाला, चंपालाल ग्वाला, निर्मल कुर्मी, सितांशु ग्वाला, सूरज नुनिया, सागर नुनिया, प्रकाश चौहान, राजू नुनिया, राहुल नुनिया, दीपंकर ग्वाला, शिवदुलाल ग्वाला, राजकुमार नुनिया, श्रीवरण नुनिया, नीलम गोस्वामी, कुसुम नुनिया, गीता नुनिया, गीता कुर्मी, दीपंकर ग्वाला, बेबी कुर्मी, सोनाली नुनिया, पूनम नुनिया, कुसुम नुनिया, अमित नुनिया, जय नारायण नुनिया, संजीव नुनिया। ज्ञात हो कि इस‌ शिव महापुराण कथा के आयोजन में फकीरटिला, बारिकनगर, घुंघर, भोराखाई,शिलकुड़ी के ग्राम वासियों ने तन मन धन से सहयोग किया।

जवाहरलाल पांडेय

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