महाशिवरात्रि पर लगता है भव्य मेला, लाखों की संख्या में उमड़ती है भीड़
कछार जिले में उंचे भुवन पहाड़ पर विराजमान भुवन बाबा मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि समय लगने वाले भव्य मेले की तैयारियां जोरो शोरो से चल रहा। साधु – संतो और राज्य के बाहरी प्रदेशों से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है।
लगभग तीन हज़ार फिट ऊपर पहाड़ पर स्थित शिव मंदिर बराक घाटी का ऐतिहासिक और जागृत तीर्थ स्थली है।महाशिवरात्रि दिन भुवन बाबा ( भुवनेश्वर ) मंदिर में लाखो की संख्या में शिव भक्त पहुंचते है। भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करते हैं।
भुवन पहाड़ के शिव मंदिर परिसर के सामने एक बड़ा तालाब है जहाँ तीर्थयात्री शिव लिंग की पूजा करने से पहले पवित्र स्नान करते हैं। मंदिर परिचालन समिति आगंतुक भक्तो को देखते हुए समस्त तैयारियां की है। कछार जिला एवं पुलिस प्रशासन ने इस भव्य मेले के सुचारू संचालन हेतु अनेक पहल की है। हर वर्ष पांच लाख से अधिक लोग यहां पहुँचते है। इस बार दस लाख लोग आने की संभावना है। मंदिर और भुवन तीर्थ के विकास के लिए असम सरकार ने भी गंभीरता दिखाई है। नतीजतन सरकारी अनुदान से अनेक काम हुआ है। मंदिर तक रास्ते बनाने पर बल दिया गया है।
मंदिर जाने के लिए दो प्रमुख रास्ते है। पहला मोतीनगर दूसरा कृष्ण्पुर की तरफ से हैं। भक्त भगवान भोलेनाथ के जयकारे लगाते पहाड़ी रास्ता तय कर मंदिर तक पहुंच जाते हैं। 25 फ़रवरी से भुवन मेला आरंभ हो रहा है। कहा जाता है कि मां कामख्या मंदिर के साथ इस मंदिर का आध्यात्मिक जुड़ाव है। मंदिर निर्माण एक ही समय में हुआ था। सिलचर मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह असम का एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। पहाड़ी की तलहटी तक कार और बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आवश्यकतानुसार सिलचर से बसें और कारें ली जा सकती हैं। परिवहन साधन आपको पहाड़ी की तलहटी में एक छोटी सी जगह मोतीनगर तक ले जाते हैं।
वर्तमान सरकार ने रास्ता बना रही है,काम पूर्ण नहीं है। मोतीनगर की तरफ से तीर्थयात्री पैदल चल मंदिर प्रांगण तक सफर तय करते हैं। सफर के दौरान खासी और नगा पूंजी भी है। पहाड़ी पर चढ़ने और उस स्थान तक पहुंचने में लगभग 3 से 4 घंटे लगते हैं जहां प्रसिद्ध शिव मंदिर स्थित है। दूसरा कृष्ण्पुर की ओर से जो मार्ग है, यहां मंदिर तक रास्ता बनाया जा रहा है। भक्तों की होने वाली भीड़ को देखते हुए केवल कुछ ही दूर तक वाहनों को ले जाया सकता है, उसके आगे पैदल ही जाना होगा।
बहरहाल कई प्रदेशों से लोग पहुंच रहे। बिहार, पटना से 15 सदस्यीय एक टीम पहुंचा है, जो यहां माला, मोती और धार्मिक चीजें की दुकाने सजाता है। यह टीम पिछले 15 वर्षों से आ रहा हैं। पहाड़ पर कई ऐसे व्यू पॉइंट्स है जहां से मिजोरम पहाड़ी का दूर तक नज़ारा देखा जा सकता है। पहाड़ पर नगा मंदिर, लख्मी गुफा मंदिर और हनुमान के अलावा निल मंडप भी है। इन मंदिरों और स्थलों तक भी बड़ी संख्या में लोग पहुँचते है। हालांकि सफर जोखिर भरा होता है।
योगेश दुबे