Wednesday, April 16, 2025

सिलचर, मालुग्राम निवासी विनोद कुमार सिंह का निधन, समाज में शोक की लहर 

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सिलचर के मालुग्राम निवासी स्वर्गीय जयनाथ सिंह एवं स्वर्गीय रुक्मिणी देवी के सबसे बड़े सुपुत्र विनोद कुमार सिंह नहीं रहे। शनिवार, 12 अप्रैल 2025, समय 3:21 पर,” जीवन ज्योति” अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस लिए। वह सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनसे बड़ी एक दीदी कंचन सिंह, जो छत्तीसगढ़( भिलाई) में रहती हैं, इसके बाद कल्पना देवी, तापस सिंह, अंजना सिंह, बिंदु सिंह एवं बाबुल सिंह हैं। वे असम स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन में 1984 से 2021 तक असिस्टेंट स्टेशन सुपरिटेंडेंट के रूप में कार्यरत थे।

वे संघर्षपूर्ण जीवन जीते हुए परिवार के बड़े होने के नाते अपनी जिम्मेदारियां को बखूबी निभाई। इन्होंने अपने सारे कर्तव्य को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाया। वे स्वभाव से उदार एवं दयालु व्यक्ति थे। गरीबों की बहुत सहायता किया करते थे एक सच्चे समाज सेवक की तरह। जीवन के सारे उतार-चढ़ाव में अपने भाई बहनों के साथ रहते हुए अपने संपूर्ण कर्तव्यों का पालन किए। वह अपने कर्म क्षेत्र में भी अपने कर्तव्य निष्ठा, उदारता और संघर्ष करते हुए सफलता के साथ सेवानिवृत हुए थे। समाज में उनकी एक सच्चे इंसान के रूप में प्रतिष्ठा बनी हुई है। इनको 2002 में कैंसर की बीमारी पकड़ में आई थी, जिसका इलाज हुआ और फिर स्वस्थ भी हुए।

कैंसर के मरीज होने के बावजूद भी एक स्वस्थ इंसान की तरह इन्होंने जीवन जिया। बड़े ही शान से अपने कर्तव्यों को निभाएं। अपने पत्नी और बच्चों से बहुत प्यार करते थे। इनके दो पुत्र एवं एक पुत्री हैं सभी को उन्होंने बड़े प्यार से पढ़ाया- लिखाया फिर नौकरी दिलवाई। सभी अपने-अपने कर्म क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। तत्पश्चात उनके शादी -ब्याह भी हुई सभी अपने अपने घरों में गृहस्थ जीवन का पालन कर रहे हैं।

एक महीना पहले से से उनकी तबीयत कुछ खराब थी इसलिए 25 मार्च को यह “ग्रीन हिल्स” में एडमिट हुए। वहां उनकी इलाज चली। ये अपने -आप में काफी कमजोर महसूस कर रहे थे। बोल भी रहे थे कि शरीर में जोर नहीं है। पता नहीं जी पाएंगे या नहीं। 15 दिन बाद वापस घर आए। तीन-चार दिन वैसे ही दवा चली। ऑक्सीजन लगे, अचानक शनिवार को ऑक्सीजन के लेवल बहुत ही काम हो गया, तत्पश्चात उन्हें “जीवन ज्योति” अस्पताल में ले जाया गया।

इमरजेंसी में इलाज भी हुए फिर,आईसीयू में रखा गया। अंत में मृत्यु के आगे वह हार गए। वह अपने गृहस्थ जीवन से स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर गए। उनकी मृत्यु से समाज में लोगों को काफी दुख हुआ। आश्चर्य भी हुआ कि कुछ दिन पहले ही उनसे हम लोग मिले, बातचीत हुई, अचानक से क्या हो गया। यह अपने पीछे अपनी पत्नी, दो पुत्र, बहु ,और बेटी दामाद तथा पोते- पोती को छोड़ गए हैं। समाज में शोक की लहर है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए लोगों ने ईश्वर से कामना की है।

बिंदु सिंह

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