मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की है कि असम सरकार ने सभी सरकारी कार्यों के लिए असमिया को अनिवार्य आधिकारिक भाषा बना दिया है।
असम की डॉ. हिमंत विश्व शर्मा सरकार ने राज्य में सरकारी कार्यों के लिए असमिया को अनिवार्य आधिकारिक भाषा घोषित कर दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने मंगलवार को इस बारे में घोषणा की है। हालांकि, इस फैसले में राज्य के बराक घाटी के तीन जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के अंतर्गत आने वाले पांच जिलों को अलग रखा गया है।
राज्य के बराक घाटी के तीन जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के अंतर्गत आने वाले पांच जिलों को अलग रखा गया है। बराक घाटी और बीटीआर में क्रमशः बंगाली और बोडो का उपयोग जारी रहेगा।
बराक घाटी और बीटीआर में क्रमशः बंगाली और बोडो का उपयोग जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला अप्रैल के मध्य से ही लागू होगा। असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में वहां पर भी अभी से ही राजनीतिक हलचल देखी जा रही है। असम सरकार के इस फैसले को उसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के ऐलान के अनुसार पूरे राज्य में अब असमिया भाषा आधिकारिक भाषा होगी। राज्य की बराक घाटी के 3 जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के अंतर्गत 5 जिलों पर यह फैसला लागू नहीं होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने भी इस अहम फैसले के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि इस बोहाग (असम नववर्ष) से असम भर में सभी सरकारी अधिसूचनाओं, आदेशों, अधिनियमों आदि के लिए असमिया अनिवार्य रूप से आधिकारिक भाषा होगी, जबकि बराक घाटी (Barak Valley) और बीटीआर (Bodoland Territorial Region) के जिलों में क्रमशः बंगाली और बोडो भाषाओं का इस्तेमाल किया जाएगा।
राज्य सरकार के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने 4 अप्रैल को इस प्रस्ताव को मंजूर किया था। असमिया भाषा की अधिसूचना मंगलवार यानी 15 अप्रैल से लागू होगी। राज्य सरकार की ओर से जारी आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, हालांकि सभी सरकारी अधिसूचनाएं, कार्यालय ज्ञापन, अधिनियम, नियम, विनियम, योजना दिशा-निर्देश, स्थानांतरण और पोस्टिंग से जुड़े आदेश अंग्रेजी और असमिया दोनों भाषाओं में जारी किए जाएंगे।
बराक घाटी के कछार, हैलाकांडी और श्रीभूमि जिलों में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भाषा का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इसी तरह, बीटीआर के तहत कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बोडो भाषा का भी उपयोग किया जाएगा।