Tuesday, May 13, 2025

कछार : पंचायत चुनावों में एनडीए की जीत, पर गठबंधन सहयोगी अगप में मायूसी, पढ़िए पूरी खबर  

  • भाजपा : जिला परिषद सदस्य 16, आंचलिक पंचायत सदस्य 110 सीट 
  • अगप :  आंचलिक पंचायत सदस्य 1 सीट 

पंचायत चुनावों में कछार में भाजपा-अगप गठबंधन की जीत हुई। जिला परिषद’ चुनावों में 25 सीटों में से 16 सीटें जीतीं, जबकि ‘आंचलिक पंचायत’ चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को 162 सीटें में से 111 सीटें हासिल हुईं। जीत के आंकड़े और बढ़ सकते थे, लेकिन भाजपा की सहयोगी अगप का कछार जिले में प्रदर्शन ख़राब रहा है।

फिलहाल कछार जिले में अगप दो जिला परिषद सदस्य और 12 आंचलिक पंचायत सदस्य सीटों पर चुनाव लड़ा था। अगप को जिला परिषद सदस्य सीट एक भी हासिल नहीं हुई। केवल एक आंचलिक पंचायत सदस्य, लालपानी जीपी क्षेत्र, को जीत दिलाने में कामयाब रहा। जबकि भाजपा 110 आंचलिक पंचायत सदस्य सीटों पर कमल खिलाने में सफल रही। अंदर खाने से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक कछार जिले में अगप अपने ख़राब प्रदर्शन के पीछे भाजपा को ही मानती है।

हालांकि वे खुलकर आधिकारिक रूप से बयान देने से बच रहे हैं। बताते चले कि चुनाव से पहले सीट बंटवारे की प्रक्रिया के बाद अगप ने 25 जिला परिषदों में से सोनाई विधानसभा क्षेत्र की दो सीटों, कप्तानपुर-काजीदहर और दीदारखुश-नागदीरग्राम पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। पार्टी के उम्मीदवार दोनों सीटों पर हार गये।

भाजपा 25 जिला परिषद सदस्य सीटों में 23 पर अपने उम्मीदवार दिए, जिसमें लखीपुर विधानसभा क्षेत्र में दो सीटों पर चुनाव पूर्व निर्विरोध जीत दर्ज की थी। 21 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर विजय हासिल की। एनडीए गठबंधन ने 111 आंचलिक पंचायत सदस्य पदों पर कब्जा कर लिया है। इनमें से भाजपा के पास 110 और अगप के पास केवल लालपानी में जीत मिली है।

विभिन्न स्तरों पर अगप कार्यकर्ता स्वीकार कर रहे हैं कि परिणाम अत्यंत निराशाजनक हैं। हालांकि, उन्होंने इसके लिए अपनी विफलता को नहीं, बल्कि अपने प्रमुख सहयोगी भाजपा को दोषी ठहराया। पार्टी कार्यकर्ताओं के अनुसार, जिले में सीट बंटवारे में भाजपा की भूमिका उचित सकारात्मक नहीं थी। उन्हें जो सीटें चाहिए थीं, वे नहीं दी गईं। इस संबंध में भाजपा ने बहुत दबंग मानसिकता दिखाई है।

सिलचर सीट पर अगप लड़ती, शायद रिजल्ट एनडीए के पक्ष में आता। कई अन्य सीटें रही जिसपर अगप को दिए जाने से गठबंधन के पास जीत का आंकड़ा और बढ़ सकता था। इसी तरह आंचलिक पंचायत सदस्यों के पदों को लेकर भी उनके प्रस्ताव को भाजपा ने महत्व नहीं दिया। वे उन सीटों पर भी नहीं जीत पाए जहां पार्टी के उम्मीदवारों के जीतने की संभावना थी। जिसके कारण उनमें से कुछ निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े। इनमें से मसिमपुर ग्राम पंचायत में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने वाले को अंततः जीत मिली।

भाजपा पर आरोप लगाने के अलावा कार्यकर्ता अपनी पार्टी के नेतृत्व पर भी आरोप लगा रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगप जिला नेतृत्व सीट बंटवारे की प्रक्रिया के दौरान दबाव के आगे आसानी से झुक गया। यदि उस समय जिला नेतृत्व ने धैर्य बनाए रखा होता तो सुविधाजनक सीटों पर उम्मीदवार उतारना संभव हो सकता था।

जब कार्यकर्ताओं के समूह की इस शिकायत के बारे में पार्टी पदाधिकारी सुजीत देब से पूछा गया तो उन्होंने कई तरीकों से इस मुद्दे को टालने की कोशिश की, लेकिन अंत में उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ सीटें मांगी थी, जो उन्हें नहीं मिलीं। यदि उन्होंने उन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए होते तो नतीजे बेहतर होते। हालांकि, भाजपा जिला अध्यक्ष रूपम साहा ने सीट बंटवारे में अगप के साथ दबंग मानसिकता दिखाने के आरोप को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

अगप नेता सुजीत की शिकायत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सीट बंटवारा अगप के प्रति पूरे सम्मान के साथ किया गया था। अगप नेतृत्व को वे सीटें दे दी गई हैं जो वे चाहते थे और चुनाव में गठबंधन धर्म की रक्षा करते हुए उन्होंने अगप उम्मीदवारों को जिताने के लिए भी पुरजोर प्रयास किए।

वहीं असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि राजग ने ‘जिला परिषद’ चुनावों में 76.22 फीसदी मतदान प्रतिशत के साथ 397 सीटों में से 300 सीटें जीतीं, जबकि ‘आंचलिक पंचायत’ चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को 66 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ 2,192 सीटें में से 1436 सीटें हासिल हुईं।

योगेश दुबे

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