बांग्लादेश में अशांति से मेघालय के ग्रामीण चिंतित, सीमा पर कर रहे बाड़ेबंदी; रात में कर रहे निगरानी
सिलचर। बांग्लादेश में अशांति के बीच बीएसएफ – मेघालय पुलिस के संयुक्त अभियान में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सात बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया है। बीएसएफ के मेघालय फ्रंटियर ने बताया कि विशेष इनपुट के आधार पर सुनियोजित अभियान चलाया गया। बांग्लादेश सीमा के पास चेक प्वाइंट के करीब सात बांग्लादेशी नागरिकों के साथ-साथ दो भारतीय मददगारों को भी पकड़ा गया। बांग्लादेश में चल रही अशांति को देखते हुए बीएसएफ के मेघालय फ्रंटियर ने बहु-स्तरीय वर्चस्व रणनीति अपनाते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है। जवान सतर्क पर है और चौबीसों घंटे निगरानी कर रहे हैं।
भारतीय मददगारों के साथ पकड़े गए सभी अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को आगे के निपटान और कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप दिया गया। बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ दे चुकी हैं और देश में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया जा चुका है। लेकिन अशांति बनी हुई है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित मेघालय के एक गांव के निवासियों को पड़ोसी देश से लोगों के आने की चिंता सता रही है। इसलिए, गांव के लोग इन दिनों बांग्लादेश से अलग करने वाली बांस की बाड़ को मजबूत कर रहे हैं। साथ ही पूरी रात जागकर चौकसी कर रहे हैं।
पूर्वी खासी हिल्स जिले के लिंगखोंग गांव के 90 निवासियों ने सीमा पार से अपराधों को रोकने के लिए कोरोना महामारी के दौरान सीमा पर बांस की बाड़ लगा दी थी। लिंगखोंग मेघालय के उन क्षेत्रों में से एक हैं, जहां जमीन के सीमांकन के मुद्दों और अंतरराष्ट्रीय सीमा आधार या शून्य रेखा 150 गज के भीतर आबादी की मौजूदगी के कारण सीमा पर बाड़ का निर्माण नहीं किया जा सका। गांव के अधिकांश घर अंतरराष्ट्रीय सीमा के बहुत करीब हैं। जबकि शून्य सीमा रेखा पर एकमात्र फुटबॉल का मैदान है, जिसमें बच्चे हर समय बीएसएफ की निगरानी में खलते हैं।
हालांकि, पांच अगस्त को हसीना सरकार के पतन के बाद लिंगखोंग में कोई गंभीर घटना नहीं हुई है। लेकिन लोग भय की स्थिति में हैं। नौ बच्चों की मां डेरिया खोंगसदिर (42 वर्षीय) अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहती हैं, “पांच अगस्त को हम चिंतित थे और रात भर सोए नहीं, क्योंकि हमें डर था कि हमारे पड़ोसी हिंसक हो सकते हैं। शुक्र है कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी और लिंगखोंग चौकी पर और अधिक कर्मियों को तैनात किया। गांव रक्षा दल और लोग पूरी रात जागे रहे।” देरिया और उनकी छोटी बहन अपने बांग्लादेशी पड़ोसियों से कुछ ही मीटर की दूरी पर रहती हैं। उनके घर के पास ही अंतरराष्ट्रीय सीमा बांटने वाले खंभा और बांस की बाड़ है।
इसे तीन साल पहले ही गांव के लोगों ने खड़ा किया था। तब से यह उनकी सुरक्षा कर रही है। उन्होंने कहा, “बांस की बाड़ ही हमारे पास एकमात्र सुरक्षा उपाय है। इसने ग्रामीण स्तर पर छोटे अपराधों को रोकने में मदद की है। लेकिन हम इसको लेकर अनिश्चित हैं कि ज्यादा गंभीर स्थिति में यह प्रभावी होगी या नहीं। ग्रामीणों ने अब इसे मजबूत करने के लिए बाड़ में नया बांस जोड़ा है। लिंगखोंग गांव लिंगखोंग शून्य रेखा के 150 गज के दायरे में आता है। मानदंडो के अनुसार कांटेदार तार की बाड़ का निर्माण 150 गज के बाद ही की जा सकती है। इसलिए, जब 2021 में बाड़ के लिए नींव रखी गई तो इस गांव में तार वाली बाड़ नहीं हो सकी। बाद में ग्रामीणों ने शून्य रेखा पर बांस की बाड़ भी लगाई और अधिकारियों से उस रेखा के साथ कांटेदार तार की बाड़ लगाने का आग्रह किया।
अधिकारियों ने कहा कि लिंगखोंग की सुरक्षा के लिए शून्य रेखा पर कांटेदार तार की बाड़ बनाने के लिए दोनों देशों के उच्च अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही है। मेघालय में 443 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा का करीब 80 फीसदी हिस्से पर बाड़ लगाई गई है। केवल उन क्षेत्रों में बाड़ नहीं लगाई गई है, जहां बार्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) इसका विरोध करते हैं या जिन इलाकों में बाड़ लगाना बहुत कठिन है।
बीएसएफ के मेघालय फ्रंटियर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “मानदंडों के मुताबिक बाड़ को शून्य रेखा से कम से कम 150 गज की दूरी पर बनाया जाना चाहिए। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। बीजीबी कभी-कभी शून्य रेखा पर बाड़ लगाने की अनुमति देती है, जो कि लोगों की मौजूदगी पर निर्भर है, जैसा कि लिंगखोंग में है। बांग्लादेश सरकार मेघालय में साथ सीमा पर सात स्थानों पर इस व्यवस्था के लिए सहमत है और इसे लिंगखोंग तक विस्तारित करने के लिए चर्चा चल रही है।