- एनएच 6 की जर्जर हालत
- गुवाहाटी को मेघालय, दक्षिण असम के बराक घाटी, मिजोरम और त्रिपुरा से जोड़ता है
एनएच – 6 चार राज्यों क्रमशः असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम को जोड़ता है। असम के जोराबाट के पास एनएच-27 से शुरू एनएच-6 गुवाहाटी को मेघालय, दक्षिण असम के बराक घाटी, मिजोरम और त्रिपुरा से जोड़ता है। व्यावसायिक व पर्यटन की दिशा से अति महत्वपूर्ण एनएच-6 की जर्जर स्थिति अब चिंता का विषय बन गया है। विशेषकर मेघालय के जोवाई बाईपास से राताचेरा तक इस महत्वपूर्ण राजमार्ग की स्थिति काफी दयनीय है। बारिश के समय कुलियांग और सोनापुर स्थिति बेहद खरं हो जाता है।
इन राज्यों को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा होने के बावजूद, पिछले वर्ष में इस सड़क की पर्याप्त मरम्मत या रखरखाव नहीं हुआ है, जिससे यात्रा के समय में दुर्घटनाओं और आवश्यक वस्तुओं के परिवहन में व्यवधान सहित कई समस्याएं पैदा हो गई हैं। यह राजमार्ग मेघालय में चल रही सीमेंट फैक्ट्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जयंतिया हिल्स सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने स्थानीय प्रशासन, मेघालय सरकार से लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को कई बार पत्र लिखकर एनएच-6 की जर्जर स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
जयंतिया हिल्स सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की ओर से मेघालय सरकार और शिलोंग स्थित एनएचएआई के परियोजना निदेशक को चालू वर्ष के 14 जून को एक पत्र के माध्यम से उक्त सड़क की मरम्मत पर ध्यान देने के लिए सूचित किया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। एसोसिएशन का आरोप है कि वाहन व प्रत्येक टोल प्लाजा पर एनएचएआई व को अच्छा टोल टैक्स दे रहे हैं, लेकिन व राजमार्ग की मरम्मत की दिशा में कोई ध्यान देता है। वर्तमान में उक्त मार्ग की बेहद जर्जर स्थिति से इन क्षेत्रों के लोगों को भारी असुविधा हो रही है और उनकी सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में सीमेंट कारखाने प्रदेश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हालांकि एनएच-6 की वर्तमान स्थिति उनके परिचालन में गंभीर बाधा डाल रही है। राजमार्ग की खराब स्थिति के कारण सीमेंट उद्योगों को कच्चा माल लाने और तैयार उत्पादों को भेजने में कठिनाई हो रही है और यह राजमार्ग क्षेत्र में परिवहन का एकमात्र साधन है जो असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर है के कुछ हिस्से से जुड़ा हुआ है।
राजमार्ग की खराब हालत के कारण परिवहन लागत है बढ़ गई है, डिलीवरी की समय-सीमा बढ़ गई है और वाहनों और सामानों को काफी नुकसान हुआ है। इन मुद्दों वि का सीमेंट कारखानों की परिचालन है दक्षता पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे अ उत्पादन लागत पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसके अलावा जर्जर राजमार्ग पर के यात्रा करने वाले वाहनों और श्रमिकों की सुरक्षा खतरे में है। खराब सड़क की वजह से न केवल व्यक्ति का जीवन ने खतरे में पड़ता है, बल्कि वाहन के रख-रखाव और मरम्मत के मामले में अतिरिक्त खर्च भी होता है। तैयार 3 उत्पादों को समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंचाने और यहां तक कि कच्चा माल भी समय पर नहीं मिलने के कारण सीमेंट कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मालूम हो कि मानसून के दौरान एनएच-6 पर कई स्थानों पर भूस्खलन होता है, खासकर सोनापुर गांव में, जिससे सड़कें अक्सर अवरुद्ध हो जाती हैं। सोनापुर में सोनापिर्डी सुरंग पर भूस्खलन एक नियमित घटना बन चुकी है, जिस वजह से वाहनों को सड़क पर 2-3 दिनों तक फंसे रहना पड़ता है। सड़क को यातायात योग्य बनाने के लिए जिला प्रशासन को 2-3 दिन लगते हैं। इससे उस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बाधित हो जाती है। असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर के कुछ हिस्सों में सीमेंट उद्योगों में तैयार माल भेजने में देरी हो जाती है। ए
नएचएआई के अधिकारियों ने फिर दोहराया है कि एनएच-6 पर प्रमुख मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्य सितंबर में शुरू होगा तथा इसे अगले 3-4 माह में पूरा कर लिया जाएगा। एनएच-6 के कुलियांग में बड़े पैमाने पर भूस्खलन के बाद राजमार्ग की स्थिति का आकलन करने पहुंचे एनएचएआई के परियोजना निदेशक आनंद सिंह चौहान ने कहा कि इस खंड पर मलबा हटाने का काम जारी रहेगा। गौरतलब है कि भूस्खलन के कारण वाहनों की आवाजाही ठप हो गई थी, जिससे यात्री फंस गए थे। असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जीवन रेखा, राजमार्ग को वर्षों की उपेक्षा और भारी बारिश के कारण लगातार भूस्खलन के कारण व्यापक नुकसान हुआ है।
साभार – दैनिक पूर्वोदय
बहुत अच्छी रिपोर्ट आ रही है। असम के साथ बराक घाटी के समाचार अब हिंदी में मिल रहे हैं। धन्यवाद
आपका आशीर्वाद। धन्यवाद सर।