गौहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को असम सरकार को आदेश दिया कि वह अपने उपायुक्त (डीसी) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन और ऑफलाइन लॉटरी संचालन करने की अनुमति न देने के निर्देश दे। जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस एन उन्नीकृष्णन नैयर की खंडपीठ ने रूपम बोरबोरा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार इस मामले में सभी जिलों के अधिकारियों को एक सप्ताह में आवश्यक निर्देश जारी करे।
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जस्टिस बिश्नोई ने कहा कि राज्य सरकार सभी डीसी और एसपी को किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन और ऑफलाइन लॉटरी का संचालन न करने की अनुमति न देने के निर्देश दे। उन्होंने कहा कि जो भी लोग ऑनलाइन और ऑफलाइन लॉटरी चला रहे हैं, उनके खिलाफ जिला आयुक्त और पुलिस अधीक्षक तत्काल कार्रवाई करें। यह आदेश एक सप्ताह में राज्य सरकार की ओर से जारी किया जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जनहित याचिका पर कोई प्रतिक्रिया दाखिल नहीं की गई। जबकि कुछ जिलों ने अलग से हलफनामे पेश किए हैं। न्यायाधीश बिश्नोई ने कहा कि राज्य सरकार को जनहित याचिका पर हलफनामे के रूप में अपना जवाब दाखिल करना होगा।
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इसमें बताना होगा कि राज्य सरकार असम में अवैध ऑनलाइन और ऑफलाइन लॉटरी से कैसे निपट रही है। अदालत ने राज्य सरकार को जनहित याचिका पर हलफनामा दायर करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। न्याय मित्र एचके दास ने अदालत को बताया कि कई मामलों में संगठन या व्यक्ति ऑनलाइन और ऑफलाइन लॉटरी के लिए डीसी से अनुमति मांगते हैं और कुछ डीसी बिना किसी अधिकार के अनुमति दे रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्याय मित्र ने अनुरोध किया था कि अदालत द्वारा एक सख्त निषेधाज्ञा आदेश पारित किया जाना चाहिए ताकि राज्य के गरीब लोगों को अवैध लॉटरी द्वारा धोखा न दिया जा सके। न्यायाधीश बिश्नोई ने कहा कि वकील ने बताया है कि उन्हें 25 डीसी से प्रतिक्रियाएं मिली हैं। जिनका कहना है कि उन्होंने आज तक ऐसी कोई अनुमति नहीं दी है। इस जनहित याचिका का विरोध करने के लिए राज्य द्वारा कोई प्रतिक्रिया दायर नहीं की गई है। हालांकि संबंधित डीसी द्वारा कुछ जवाबी हलफनामे दायर किए गए हैं। लगता है उन्हें उत्तरदाताओं के रूप में फंसाया गया है। अमर उजाला