Friday, January 10, 2025

दिमा हसाओ, उमरंगसो कोयला खनन त्रासदी: खनिकों का ‘सरदार’ पुलिस हिरासत में, घटनास्थल पर कई दिन रहकर मंत्री कौशिक राय रेस्क्यू टीम का बढ़ाया हौसला

पानी निकालने और अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से खनिकों की तलाश जारी

असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो के एक कोयला खदान में काम करने वाले श्रमिकों के ‘सरदार’ को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। खदान में अब भी आठ खनिक फंसे हुए हैं। दिमा हसाओ के पुलिस अधीक्षक मयंक कुमार झा यह जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक से मिली जानकारी अनुसार हिरासत में लिए व्यक्ति की पहचान हनान लस्कर है।

फिलहाल अभियान में शामिल सेना, नेवी, असम राइफल्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, कोल इंडिया सहित अन्य एजेंसियां फंसे हुए खनिकों को बाहर निकालने की कड़ी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वक्त बीतने के साथ स्थिति गंभीर होती जा रही है। राज्य के संबंधित विभाग के मंत्री कौशिक राय घटना के दिन से ही चार दिन घटनास्थल पर रहकर रेस्क्यू टीम का हौसला बढ़ाया और अबलगातार रेस्क्यू दल के साथ संवाद कर मॉनिटरिंग कर रहे है।

उल्लेखनीय है कि इस खदान में पानी भरने के बाद गत सोमवार को नौ मज़दूर उसमें फंस गए थे, जिसमें से नेपाल निवासी एक खनिक का शव बरामद कर लिया गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक खनिकों का ‘सरदार’ (मुखिया) हनान लस्कर छह जनवरी को घटना के तुरंत बाद खदान स्थल से भाग गया था, उसे बृहस्पतिवार रात एक व्यापक तलाशी अभियान के बाद धरा गया है। इस मामले में अभी तक दो लोगों को पूछताछ के लिए लाया गया है।

खदान के पट्टाधारक पुनीश नुनीसा को घटना के दूसरे दिन ही हिरासत में लिया गया था। सोमवार को गुवाहाटी से लगभग 250 किलोमीटर दूर उमरंगसो क्षेत्र में ‘3 किलो’ कोयला खदान में अचानक पानी भर जाने के कारण उसमें खनिक फंस गए थे। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा था कि खदान में हुई घटना के संबंध में मामला दर्ज किया गया है और यह ‘अवैध’ प्रतीत होती है।

एक अधिकारी ने बताया कि 340 फुट गहरी खदान से पानी निकालने का काम ओएनजीसी और कोल इंडिया द्वारा लाई गई विशेष मशीन से जारी है।  उन्होंने बताया कि पर्याप्त पानी निकाले जाने के बाद नौसेना और सेना के गोताखोर बचाव अभियान के लिए फिर से खदान में उतरेंगे। अधिकारी ने बताया कि नौसेना, सेना, असम राइफल्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और नागरिक प्रशासन बचाव अभियान में लगे हुए हैं और घटनास्थल पर तैनात हैं।

योगेश दुबे/ भाषा 

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