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लखीपुर क्षेत्र के श्रीबार ग्राम पंचायत कार्यालय में महिला सशक्तिकरण और कानून जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में एक विशेष जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” परियोजना की 10वीं वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) के महिला-केंद्रित कानून और महिला-संबंधी प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया। महिला सुरक्षा और न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने के लिए आयोजित यह कार्यक्रम महिलाओं के बीच कानूनी जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम बन गया है।
यह जागरूकता कार्यक्रम “संकल्प: महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जिला”, महिला एवं बाल विकास विभाग, कछाड़, और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) और असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एएसआरएलएमएस) की संयुक्त पहल है। इस में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्य और जेंडर प्वाइंट पर्सन सक्रिय रूप से भाग लिया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सलमा सुल्ताना ने महिला अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में बताया।
उन्होंने महिलाओं की कानूनी साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डाला और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लागू विभिन्न कानूनों और प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव का रोकथाम के लिए लागू कानूनी उपायों पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं से जागरूक होने का आह्वान किया। इसके अतिरिक्त, वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक रूपाली अकुरा ने “मिशन शक्ति” परियोजना के तहत महिलाओं के लिए उपलब्ध विभिन्न सहायता सेवाओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना संकट में महिलाओं की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस अवसर पर असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एआरएलएमएस) ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक चार्लीबॉम रंगप्पी और ब्लॉक समन्वयक मोहन देव उपस्थित रहे। कुल मिलाकर इस जागरूकता शिविर ने महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देने के साथ-साथ उन्हें न्याय पाने के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया है।
वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि कानून के प्रति जागरूकता नहीं होने पर महिलाएं न्याय से वंचित रह जाती हैं, हो सकता है इसलिए समाज के हर स्तर पर महिलाओं को कानूनी सहायता देने की अत्यधिक आवश्यकता है। महिलाओं के अधिकार, न्याय और सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम को समाज में महिलाओं के लिए अधिक सूचित और सशक्त भविष्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में पहचाना गया है।
चंद्रशेखर ग्वाला