श्रमिकों की मज़दूरी, राशन और कर्मियों के वेतन है बंद
आखिर क्या है मामला, राजदीप ग्वाला ने दी पूरी जानकारी
सिलकुड़ी और विक्रमपुर चाय बागान में श्रमिकों का भविष्य निधि भुगतान लंबे समय से लंबित है। इस स्थिति में भविष्य निधि प्राधिकरण ने उपरोक्त दोनों चाय बागानों को अपने दखल में ले लिया है,यानि सीज कर लिया है। नतीजतन सिलकुड़ी और विक्रमपुर चाय बागान के श्रमिक और कर्मचारी संकट में हैं। यदि वे काम भी करते हैं तो उन्हें वेतन नहीं मिलता। राशन और मजदूरी, दोनों से ही, वंचित है, जिसके चलते बराक चाय श्रमिक यूनियन को इस मामले हस्तक्षेप करना पड़ा।
यूनियन ने भविष्य निधि अधिकारियों से दोनों बागानों को किसी अन्य कंपनी को “लीज” पर देने का अनुरोध किया है ताकि श्रमिकों को नियमित राशन और वेतन मिल सके। गुरुवार को सिलचर स्थित यूनियन कार्यालय में भविष्य निधि अधिकारियों, सहायक श्रम आयुक्त, यूनियन पदाधिकारियों और दोनों बागानों के श्रमिकों के साथ एक बैठक हुई। बैठक में भविष्य निधि प्राधिकरण की ओर से दो सहायक आयुक्त रूपज्योति तांती और राहुल चौधरी तथा निधि नियंत्रण अधिकारी देबाशीष सेन उपस्थित थे।
यूनियन की तरफ से महासचिव राजदीप ग्वाला के नेतृत्व में सह महासचिव रवि नूनिया, विपुल कुर्मी व बाबुल नारायण कानू, सह – सचिव दुर्गेश कुर्मी और सहायक श्रम आयुक्त राणा इंगती बैठक में हिस्सा लिया। बागान पंचायतों के उपस्थिति में विभिन्न ज्वलंत विषयों पर चर्चा हुई। श्रमिकों और कर्मचारियों के भविष्य से संबंधित मुद्दों को आगे किया गया। बैठक के बाद राजदीप ग्वाला ने मीडिया के साथ बातचीत में बताया कि दोनों बागानों में काम करने वाले मजदूरों को तीन सप्ताह का राशन तथा सात से आठ सप्ताह का राशन नहीं दिया गया है।
कर्मचारियों को छह महीने से वेतन नहीं मिला है। जब भविष्य निधि अधिकारियों ने दोनों चाय बागानों को जब्त कर लिया, तो श्रमिकों और कर्मचारियों की इन समस्याओं की जिम्मेदारी उन पर आ गई। जिसके चलते यूनियन की ओर से भविष्य निधि अधिकारियों को पत्र भेजा गया था, परिणामस्वरूप गुरुवार को यूनियन कार्यालय में बैठक आयोजित की गई। ग्वाला ने कहा कि भविष्य निधि अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, एक कंपनी ने दोनों चाय बागानों को “लीज” पर संचालित करने में रुचि व्यक्त की है।
यूनियन ने कहा है कि यदि कंपनी श्रमिकों को राशन सहित कुछ सप्ताह का बकाया भुगतान करने तथा काम के बदले उन्हें नियमित भुगतान करने पर सहमत हो जाए तो कंपनी को लीज पर दे दिया जाना चाहिए। यूनियन निश्चित रूप से इसका स्वागत करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सिलकुड़ी और बिक्रमपुर चाय बागान के मामले में भविष्य निधि अधिकारियों ने लंबे समय से भविष्य निधि का पैसा बकाया होने के कारण नॉर्थ वेस्टर्न कछार टी कंपनी से दोनों बागानों को जब्त कर लिया था, ऐसी ही स्थिति पहले भी कई बागानों में हो चुकी है।
उन मामलों में, चाय बागान को अस्थायी उपाय के रूप में किसी अन्य संगठन को “लीज” पर दे दिया गया है। श्रम मंत्री को पत्र लिखकर इस विषय को गंभीरता से लेने के लिए अपील किया गया था। चूंकि चाय बागान अब भविष्य निधि विभाग के अंदर आ गया है, तो किसी अन्य कंपनी को लीज पर देकर चाय बागान को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकता है। श्रमिकों के सामने कई समस्याएं है। यूनियन की तरफ से कई मांगों को भी उठाया है।
सिलकुड़ी चाय बागान में बाहरी लोगों द्वारा जमीन पर जबरन कब्जा किए जाने के आरोपों के बारे में उन्होंने कहा, “अगर सरकारी काम के लिए जमीन की जरूरत है, तो यह अलग बात है।” इसके अलावा किसी अन्य को बागान की जमीन के लिए “एनओसी” नहीं दी जानी चाहिए। वहीं बागान के कई श्रमिकों ने आरोप लगाया है कि नए लोग आकर बागान की जमीन दखल कर रहे। टीला का माटी काटकर बेचे जा रहे हैं। वन विभाग से कोई अनुमति नहीं है, बावजूद टीला काटा जा रहा। बैठक के दौरान यूनियन श्रमिकों के हितों को लेकर चिंता व्यक्त की गई।
Yogesh Dubey