असमिया और बंगाली भाषा के लिए के केंद्र ने बड़े फैसले किए। केंद्र सरकार ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा (क्लासिकल लैंग्वेज) का दर्जा दिया है। दरअसल 2013 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव संस्कृति मंत्रालय की भाषा विशेषज्ञ समिति को भेजा था।
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इस बीच पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषा को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के प्रस्ताव मिले। विशेषज्ञ समिति ने इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की संस्तुति की। शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद इन भाषाओं के लिए शैक्षिणिक और शोध क्षेत्र में महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेजीकरण और डिजिटलीकरण से संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार पैदा होंगे।
कैबिनेट फैसले के बाद इन भाषाओं का व्यापक सांस्कृतिक, शैक्षिणिक प्रभाव राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलेगा। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी प्रकट किया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने एक्स पर पोस्ट किया कि असमिया अब एक शास्त्रीय भाषा है।
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असम के लोगों की ओर से मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं। पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल को असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए धन्यवाद देता हूं। असमिया चुनिंदा भाषाओं के समूह में शामिल हो गई है। उन्होंने लिखा कि यह असम की अनूठी सभ्यतागत जड़ों का उदाहरण है जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है।
कैबिनेट के निर्णय से हम अपनी मातृभाषा को बेहतर ढंग से संरक्षित कर पाएंगे, जो न केवल हमारे समाज को एकजुट करती है बल्कि असम के संतों, विचारकों, लेखकों और दार्शनिकों के प्राचीन ज्ञान के साथ एक अटूट कड़ी भी बनाती है। हमारी पीढ़ी ने असमिया भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया है, उसे देखते हुए आज का दिन मेरे जीवन के सबसे खुशी के दिनों में से एक है। भारत की विरासत को सुरक्षित रखने के उनके अथक प्रयासों के लिए एक बार फिर आदरणीय मोदी जी को हृदय से धन्यवाद।