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असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा धुबरी मामले पर बड़ा फैसला किया है। धुबरी में रविवार को मंदिर के बाहर मांस फेंके जाने के बाद सांप्रदायिक तनाव फैल गया था। सोमवार को कस्बे में इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया गया और स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था। अब असम के मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो पोस्ट की। इसमें उन्होंने कहा कि धुबरी में एक सांप्रदायिक ग्रुप मंदिरों को क्षति पहुंचाने की नीयत से सक्रिय हो चुका है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में शूट एट साइट का आदेश दिया गया है। सांप्रदायिक तनाव फैलने के बाद डॉ. शर्मा ने धुबरी का दौरा किया और अधिकारियों को असामाजिक तत्वों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का आदेश दिया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि घटना में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा, ‘इस बार ईद पर कुछ असामाजिक तत्वों ने धुबरी के हनुमान मंदिर में गौ मांस फेंककर घृणित और निंदनीय अपराध किया! आगामी ईद पर अगर आवश्यकता पड़ी, तो मैं खुद रात भर हनुमान बाबा के मंदिर में पहरेदारी करूंगा।’ बता दें कि असम के धुबरी जिले को लेकर इसके पहले भी विवाद हो चुका है।
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में एक संबोधन के दौरान धुबरी की तुलना मिनी बांग्लादेश से कर दी थी। इसके बाद विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा था। असम सरकार ने धुबरी जिले में मंदिरों पर संभावित हमलों को रोकने के लिए ‘गोली मारो’ आदेश जो जारी किया है।
इस कठोर कदम से देशभर में विवाद छिड़ गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस आदेश को अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की रणनीति बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एनआरसी के बाद मुसलमानों को राज्य से बाहर निकालने की साजिश है और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। यह आदेश संवैधानिक और नैतिक दोनों स्तरों पर सवालों के घेरे में है।